कोटा

दिसम्बर 2023 के बाद किसी भी रेलमार्ग पर नहीं चलेंगे डीजल इंजन

रेलवे की ओर से देश के सभी रेलमार्गों को विद्युतीकृत करने की योजना पर तेजी से कार्य किया जा रहा है। पश्चिम मध्य जोन पूरी तरह विद्युतीकृत हो चुका है। अन्य जोन में भी विद्युत परियोजनाएं गति पर हैं। इससे ट्रेनों के इंजन बदलने की जरूरत नहीं रहेगी और इंजनों की उत्पादकता भी बढ़ेगी।

कोटाJun 06, 2021 / 04:59 pm

Jaggo Singh Dhaker

Indian railways cut down few services

कोटा. भारतीय रेलवे हरित रेलवे बनने के लिए मिशन मोड में काम कर रहा है और 2030 से पहले शून्य कार्बन उत्सर्जन बनने की ओर बढ़ रहा है। रेलवे ने पर्यावरण की सुरक्षा के लिए कई बदलाव किए हैं। जैसे रेल विद्युतीकरण, हैड ऑन जेनेरेशन तकनीक एवं विद्युत इंजनों का अधिक से अधिक प्रयोग करना। रेलवे विद्युतीकरण पर्यावरण के अनुकूल है और प्रदूषण को कम करती है। रेलवे ने ब्रॉडगेज मार्गों को दिसम्बर 2023 तक 100 प्रतिशत विद्युतीकरण करने की योजना बनाई है। इससे डीजल इंजनों की जरूरत नहीं रहेगी। कार्बन फ ुटप्रिंट और पर्यावरण प्रदूषण में कमी आएगी। पश्चिम मध्य रेल पहला ऐसा जोन बन गया है, जिसका पूरा रूट 3012 किलोमीटर विद्युतीकृत है। हैड ऑन जनरेशन सिस्टम भी शुरू किया है। इससे लोकोमोटिव के माध्यम से सीधे कोचों को बिजली आपूर्ति होती। यह ट्रेनों में अलग पावर कारों की आवश्यकता को समाप्त करता है। अभी तक 1280 ट्रेनों को एचओजी सिस्टम से लैस किया है। इससे कार्बन फुटप्रिंट में प्रतिवर्ष से 31,88,929 टन की कमी आएगी। पावर कारों को खत्म करने से 2300 करोड़ रुपए की ईंधन लागत में भी बचत होगी। इस तकनीकी से पर्यावरण में वायु प्रदूषण एवं ध्वनि प्रदूषण काफ ी कमी आई है पिछले 2 वर्षों में 20 करोड़ की बचत हुई है। अपशिष्ट नहीं छोड़ा जाएगा कोटा मंडल के डीआरएम पंकज शर्मा ने बताया कि रेलवे ने अपने पूरे बेड़े में जैव शौचालयों की स्थापना का काम पूरा कर लिया है। अबट्रेक पर चल रहे कोचों से कोई मानव अपशिष्ट नहीं छोड़ा जाएगा। इसके लिए 73,078 डिब्बों में 2,58,906 जैव शौचालय लगाए गए हैं। स्वच्छ ऊर्जा का उपयोग करने के लिए रेलवे भवनों की छतों पर सौर संयंत्रों की स्थापना की है।

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