क्यों रास्ता बदल रही चम्बल, रौद्र रूप का कारण – कोटा से लेकर धौलपुर तक नदी के पेटे व किनारों से मिट्टी व बजरी का अवैध खनन किए जाने से तटों को भारी नुकसान हो रहा है। नदी के प्राकृतिक स्वरूप से छेड़छाड़ होने से खतरा बढ़ता है।
– कोटा के आस-पास नदी के किनारों पर अवैध बस्तियां बस जाने से बहाव एरिया कम हो रहा है।
– अवैध खनन से चम्बल घडिय़ाल सेन्चुरी के घडिय़ालों का प्रजनन प्रभावित हो जाता है।
– 11 लाख हैक्टयर में फसलों की कुल बुआई – 6.50 लाख हैक्टयर में सोयाबीन
– 1.10 लाख हैक्टयर में धान (चावल) – 2 लाख हैक्टयर में धनिया
– 2000 हैक्टयर में संतरा
– 24 लाख यूनिट का बिजली उत्पादन प्रतिदिन जवाहर सागर बांध केे पन बिजलीघर से – 294 लाख यूनिट बिजली का उत्पादन प्रतिदिन कोटा सुपर थर्मल पावर से
इस मानसून ऐसे आई तबाही कोटा संभाग में तबाही
– 30 की जनहानि (बूंदी-11, कोटा-6, बारां-10 व झालावाड़ में 3 जनों की मौत) – 4 लाख हैक्टयर में फसलें चौपट
– 2400 पशुधन बहे
– 5000 दुकानों को नुकसान – 400 करोड़ का कारोबार चौपट
– 4400 किलोमीटर सड़कें हुई क्षतिग्रस्त – 20 लाख का नुकसान कोटा शहर में बिजली कम्पनी को हुआ
– 100 लाख का नुकसान विद्युत निगम को हुआ कोटा ग्रामीण क्षेत्र में
धौलपुर में चम्बल का कहर – 5000 हैक्टेयर भूमि प्रभावित
– 189 बिजली के ट्रांसफार्मर हुए खराब – 133 किलोमीटर सड़कें क्षतिग्रस्त
– 2500 मकानों को नुकसान
गांधी सागर (मंदसौर-मध्यप्रदेश)- भराव क्षमता- 1312 फीट राणाप्रताप सागर (रावतभाटा-चित्तौडगढ़़)- भराव क्षमता-1157.50 फीट
जवाहर सागर (बूंदी-कोटा)- भराव क्षमता-980 फीट कोटा बैराज (कोटा)- भराव क्षमता- 852 फीट
चम्बल व उसकी सहायक नदियां
क्षिप्रा इन्दौर के उज्जैनी मुंडला गांव के पास से निकलती है। मध्यप्रदेश में 196 किलोमीटर बहने के बाद चम्बल में मिल जाती है।
कालीसिंध मध्यप्रदेश के देवास जिले में विध्यांचल पहाडिय़ों से निकलती है। कालीसिंध मध्यप्रदेश से होती हुई झालावाड़, पलायथा होती हुई इटावा के पास नवनेरा में चम्बल में मिल जाती है।
आहू
पार्वती पार्वती मध्यप्रदेश के भोपाल से होती हुई राजस्थान के कालीघाट होती हुई खातौली के आगे सवाईमाधोपुर के पाली घाट के पास चम्बल में मिल रही है।
परवन
उजाड़ उजाड़ नदी भीमसागर बांध से होती हुई पलायथा विनोदखुर्द, कुन्दनपुर होती हुई कालीसिंध व परवन में मिल रही है।
बनास
मेज नदी भीलवाड़ा के मांडलगढ़ से शुरू होती है, जो बूंदी जिले से होकर कोटा जिले के ककावता के पास चम्बल में मिल जाती है।
कुनो नदी
आधे राजस्थान की प्यास बुझाएगी चम्बल