हाड़ौती के चारों जिले कोटा, बारां, बूंदी व झालावाड़ में भी करीब 185 के आसपास बस सारथी हड़ताल पर हैं। रोडवेज प्रबंधक आनन-फानन में अपने परमानेंट परिचालकों को बुलाकर उन्हें बसों को तय रूट पर रवाना करवाने में जुटा है। रोडवेज के कोटा डिपो के चीफ मैनेजर अजय कुमार मीणा का कहना है कि बस सारथी की डिमांड यूपी पैटर्न पर भर्ती करने की है। साथ ही उनके टारगेट में फ्री या रियायत पर बस यात्रा करने वाले लोगों का भुगतान भी जोड़ा जाए। इन लोगों से समझाइश की जा रही है, ताकि जल्द ही बसों का सुचारू संचालन किया जा सके। दूसरी तरफ बसों को रोक कर यह लोग नारेबाजी भी कर रहे हैं।
हमारे खिलाफ हो रही FIR
बस सारथी हबीबुल्लाह काजी का कहना है कि हमने 1 महीने के लिए बस को कॉन्टैक्ट पर ले लेते हैं। इसके बावजूद अधिकारी जांच करते हैं। हमारे खिलाफ एफआईआर दर्ज करवा देते हैं। यह पूरी तरह से गलत है। हमारे पूरे राजस्थान में करीब 1470 बस सारथी लगे हुए हैं। इसके अलावा कोटा में 65 और कोटा संभाग में 185 बस सारथी हैं. यह चारों जिले कोटा, बारां, बूंदी व झालावाड़ में है। उन्हें 13000 मानदेय तय किया हुआ है। हर माह कॉन्टैक्ट पर रोडवेज बस सारथी को 35 से 45 रुपए प्रति किलोमीटर के अनुसार बस को कांटेक्ट पर देती है। इसके अनुसार ही उनसे रोज पैसा ले लिया जाता है, अगर इतना यात्री भार नहीं मिलता है तो वह पैसा उनकी जेब से देना पड़ता है, रोडवेज पूरी वसूली करता है।
रोडवेज का दावा ज्यादा नहीं पड़ा फर्क
चीफ मैनेजर मीणा का कहना है लंबे रूट की बसों को उन्होंने निकाल दिया है, जबकि कुछ छोटे रूट की बसे हैं, जहां पर यात्री भार कम रहता है। उन्हें अभी कटौती की है। छुट्टी पर गए, बुकिंग पर बैठे, और ड्यूटी ऑफ कर गए परिचालकों को बुलाकर बसों को रवाना कर रहे हैं। बुकिंग की व्यवस्था को कॉन्ट्रैक्ट वाले एजेंट भी संभाल सकते हैं, इसीलिए बुकिंग भी फिलहाल नयापुरा और संजय नगर बस स्टैंड दोनों में बंद कर दी गई है। ऐसा ही बारां, बूंदी व झालावाड़ सहित अन्य जिलों में भी किया गया है। जानें क्या है मांग
- महिला, परीक्षार्थी, दिव्यांग, वरिष्ठ नागरिक, पुलिस कार्मिक के किराए का पैसा उन्हें नहीं मिलता है। यह भी उनके किराए में शामिल किया जाए।
- यूपी पैटर्न पर 2.5 प्रति किलोमीटर किराया हमें दिया जाए।
- कॉन्ट्रैक्ट के तहत 13000 रुपए मिलते हैं, लेकिन 12400 ही दे रहे है, 600 काटे जा रहे हैं।
- बस को पूरी तरह से कांटेक्ट पर लेने के बावजूद अधिकारी बसों को रोक कर जांच करते हैं और कमी मिलने पर मुकदमे दर्ज कर देते हैं।
- मानदेय 350 रुपए रोज है, लेकिन छुट्टी करने या नहीं आने पर 600 रुपए काटे जाते हैं।