तालाब गांव निवासी अशफाक ने बताया कि वह सुबह तैयार होकर काम पर जाने वाला था। उसने अपनी बाइक घर के बाहर निकाली और स्टॉर्ट कर अन्दर टिफन लेने चला गया। इसी बीच उसका 14 वर्षीय भतीजा मोहम्मद इब्राहिम उर्फ इम्मू बाइक पर बैठकर उसे चलाने ले गया। उसने दो बालक 8 वर्षीय अमरूद्दीन व गोलू को भी बैठा लिया। गली से थोड़ा आगे जाने पर बाइक की स्पीड बढ़ा दी। इससे संतुलन बिगड़ा और तेज गति से बाइक सामने खंभे से जा टकराई। हादसे में इब्राहिम के सीने में गंभीर चोट आई। उपचार के दौरान मोहम्मद इब्राहिम का दम टूट गया, जबकि अमरूद्दीन व गोलू का उपचार चल रहा है।
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नहीं चलानी आती थी बाइक
शुक्रवार को स्कूल की छुट्टी थी, इस कारण इब्राहिम व अन्य बच्चे घर पर ही थे। इब्राहिम को बाइक चलानी नहीं आती थी। अश्फाक के अनुसार वह बाइक चलाना सीख रहा था। उसे बाइक स्टार्ट दिखी तो दोनों बच्चों को बैठाकर चुपचाप निकल गए।
कोटा शहर में गत महीने भी बाइक की तेज रफ्तार नहीं संभाल पाने से एक किशोर गुमानपुरा फ्लाईओवर से चालीस फीट नीचे आ गिरा था। उसकी मौत के बाद परिजन का यही कहना था कि वह बिना बताए बाइक ले गया और बाद में हादसे की सूचना मिली। 70 फीसदी सड़क हादसे तेज रफ्तार के चलते होते हैं। कोटा में दो लाख से अधिक कोचिंग स्टूडेंट्स हैं, इनमें स्थानीय स्टूडेंट्स भी शामिल हैं। यदि पांच फीसदी भी कोचिंग आने जाने के लिए वाहन का उपयोग कर रहे हैं तो रोज दस हजार बच्चे वाहन शहर में दौड़ा रहे हैं।
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बिना हेलमेट और बिना वैध दस्तावेजों के वाहन चलाना खुद को और अन्य वाहन चालकों के लिए खतरे की घंटी है। हादसा होने के बाद यातायात पुलिस चेतती है और कुछ दिन चालान बनाकर इतिश्री कर लेती है। विशेषज्ञों के मुताबिक, किशोरावस्था में बच्चे अपने मन की करना चाहते हैं। ऐसे में जरूरी है कि अभिभावक उनके मोह में जिम्मेदारी और सुरक्षा से समझौता न करें। वाहन दिलाते समय भी परिवहन विभाग के नियमों को ध्यान में रखा जाना चाहिए। स्कूल-कोचिंग के नाम पर वाहन चलाने की छूट का बच्चे गलत फायदा न उठाएं, ये भी अभिभावकों को देखना होगा। वरना बच्चों के मोह में पड़ कर की गई बड़ों की नासमझी पूरे परिवार के दुख का कारण बन सकती है।