संभागायुक्त ने यह जानकारी एक शिकायत के आधार पर मांगी है। सरकारी नौकरी हासिल करने के लिए अब शिक्षित बेरोजगार युवा नए-नए पैतरें अपनाने लगे हैं। फर्जी दस्तावेजों का इस्तेमाल भी कई लोग करने लगे हैं। शिक्षकों की भर्ती प्रक्रिया में फर्जी दस्तावेज से नौकरी की शिकायत सामने आने के बाद जिला शिक्षा विभाग में हड़कंप मच गया है। बताया जा रहा है कि शिक्षकों की जब भर्ती हुई थी।
तब सरकारी नौकरी यानी व्याख्याता व शिक्षक का पद हासिल करने के लिए खुद को दिव्यांग बताया गया था। दस्तावेजों के सत्यापन के दौरान इन्होंने फर्जी दस्तावेज प्रस्तुत किया था। इससे जो वास्तविक तौर पर दिव्यांग है और उन्होंने भर्ती के लिए आवेदन किया था उन्हें इस सरकारी नौकरी से वंचित होना पड़ा है। जब इसकी शिकायत संभागायुक्त तक पहुंची।
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इस पर संज्ञान लिया गया। जिला शिक्षा विभाग को नोटिस जारी किया गया। संभागायुक्त के नोटिस के बाद डीईओ ने भी संदेह के दायरे में शामिल व्याख्याता और शिक्षक को नोटिस जारी कर एक फिर से दिव्यांग प्रमाण पत्र की मूलप्रति और सत्यापित प्रति की मांग की है। बता दें कि इस संबंध में छत्तीसगढ़ दिव्यांग शासकीय अधिकारी व कर्मचारी संघ कोरबा ने छत्तीसगढ़ शासन के दिव्यांगजन मुख्य आयुक्त को पत्र के माध्यम से शिकायत की थी।
इसके बाद जांच की प्रक्रिया शुरू की गई है। इस संबंध में डीईओ से जानकारी लेने फोन पर संपर्क करने का प्रयास किया गया लेकिन बात नहीं हो सकी। गौरतलब है कि जिले के महिला बाल विकास विभाग की ओर से आंगनबाड़ी कार्यकर्ता की भर्ती के दौरान भी फर्जी दस्तोवज का मामला सामने आया था। अभ्यर्थियों ने आंगनबाड़ी कार्यकर्ता व सहायिका पद पर कार्य करने के लिए फर्जी जाति प्रमाण पत्र जमा कर दिया था।
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दस्तावेज की बजाए दिव्यांगता की हो जांचछत्तीसगढ़ कर्मचारी-अधिकारी फेडरेशन जिला प्रवक्ता ओम बघेल ने कहा कि संघ ने दिव्यांग प्रमाण पत्र की फर्जी दस्तावेज प्रस्तुत कर व्याख्याता व शिक्षक पद पर नियुक्ति को लेकर छत्तीसगढ़ शासन के दिव्यांगजन मुख्य आयुक्त को पत्र लिखा है। इसमें मूल दस्तावेज की मांग की गई। जबकि इसमें दस्तावेज की बजाए जिला मेडिकल बोर्ड से संदेही व्याख्याता व शिक्षकों की मशीन के माध्यम से दिव्यांगता की जांच होनी चाहिए।
दस्तावेज प्रस्तुत करने तीन दिन का समयसंदेह के दायरे में शामिल व्याख्याता व शिक्षक को नोटिस के माध्यम से डीईओ कार्यालय में दस्तावेज प्रस्तुत करने के लिए तीन दिनों का समय दिया गया है। डीईओ ने नोटिस दो फरवरी को जारी किया है। ऐसे में इन शिक्षकों को छह फरवरी के पहले दिव्यांग प्रमाण पत्र की मूलप्रति जिला शिक्षा विभाग के कार्यालय के प्रस्तुत करना होगा।
जांच के बाद होगा मामले का खुला साहालांकि मामला अभी शिकायत पर जांच की प्रक्रिया शुरू हुई है। विभाग दस्तावेज की जांच करेगी। यदि जांच में विभाग दस्तावेज फर्जी पाई जाती है या फिर दिव्यांग नहीं होने के बाद भी प्रमाण पत्र जारी करने का मामला सामने आता है, तो इसमें कई अफसर और कर्मचारियों की परेशानी बढ़ सकती है।