मामले में पुलिस ने एक महिला को गिरफ्तार किया है जो उरगा थाना क्षेत्र के ग्राम सिलयारीभाठा की रहने वाली है। आरोप है कि महिला ने राजमिस्त्री से अपने मकान का निर्माण कराया था। मकान बनने के बाद महिला ने मिस्त्री का 1 लाख 88 हजार 100 रुपए रोक दिया था। वह रूपए नहीं दे रही थी। इसे लेकर विवाद शुरू हुआ था और राजमिस्त्री मजदूरों के तगादा से परेशान था। वह रेजा और कुली को भुगतान नहीं कर पा रहा था जिससे वह खुद को अपमानित महसूस कर रहा था।
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मामले की जानकारी देते हुए पुलिस ने बताया कि उरगा थाना क्षेत्र के ग्राम कुकरीचोली में रहने वाले जयराम रजक, उसकी पत्नी सुजाता और दो साल की बच्ची की लाश मिली थी। तीनों लाश एक ही कमरे में थी। घटना की सूचना पर पहुंची पुलिस मर्ग कायम कर जांच कर रही थी। प्रारंभिक तौर पर मामला हत्या से जुड़ा लग रहा था। इस कारण पुलिस ने हत्या का मुकदमा दर्ज किया था और शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया था। पीएम रिपोर्ट में खुलासा हुआ कि जयराम रजक ने पहले मासूम बच्ची का गला पकड़कर मरोड़ दिया था। उसके बाद अपनी पत्नी का गला घोंटा था। दोनों के बचने की गुंजाइश न रहे इस कारण से कैंचीनुमा धारदार हथियार से बेटी और सुजाता का गला रेत दिया था। इसके बाद जयराम ने खुद को मारने का प्रयास किया और अपने दोनों हाथ की नस काट ली थी। गले के नस को भी काटा था। इसके बाद कमरे में साड़ी के सहारे फांसी के फंदे पर लटक गया था। फंदा टूट गया था और वह जमीन पर गिर गया था। पुलिस ने पोस्टमार्टम रिपोर्ट के आधार पर आगे की जांच की। छानबीन के दौरान जयराम के कमरे से तीन पेज का सुसाइड नोट मिला था इसमें जयराम ने घटना का पूरा विवरण लिखा था। इसके आधार पर पुलिस मामले की जांच कर रही थी। CG Crime News: पुलिस ने सुसाइड नोट के आधार पर सिलयारीभाठा में रहने वाली महिला संतोषी बाई पति लाल सिंह को पकड़कर पूछताछ की। तब महिला ने जयराम का कोई राशि बकाया होने से इंकार किया। छानबीन के दौरान पुलिस को पता चला कि जयराम ने संतोषी बाई का मकान बनाया था। इसके लिए दोनों के बीच 132 या 133 रुपए पर स्क्वायर फीट के दर से सौदा हुआ था। संतोषी के मकान को बनाने के लिए जयराम ने खुद बतौर राजमिस्त्री काम किया था और अन्य मजदूरों को भी काम में लगाया था। मकान बनने के बाद संतोषी पर जयराम का 1 लाख 88 हजार 100 रुपए निकल रहा था। इस राशि को महिला नहीं दे रही थी, आनाकानी कर रही थी।
कई माह से जयराम संतोषी के घर का चक्कर लगा रहा था और समय-समय पर अपने मजदूरों को भी पैसे लाने के लिए संतोषी के घर भेजता था लेकिन महिला की नीयत रूपए देने की नहीं थी और महिला ने जयराम को बताया कि सारा हिसाब-किताब बराबर हो चुका है अब कोई राशि बकाया नहीं है। इस दबाव को जयराम झेल नहीं सका और उसने परिवार सहित खुदकुशी की योजना बनाई। इसी के तहत घटना से एक दिन पहले जयराम अपनी पत्नी और बच्चों को लेकर मड़वारानी मंदिर गया और वहां से लौटने के बाद उसी रात दोनों की हत्या कर दी।