ग्रामीण क्षेत्रों में कई लोग तो घरेलू जड़ी-बूटी से ही काम चला लेते हैं
सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र फरसगांव के आंकड़ों के अनुसार पिछले अप्रैल से अब तक 13 लोग इनके शिकार हो चुके हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में कई लोग तो घरेलू जड़ी-बूटी से ही काम चला लेते हैं। साथ में इन आवारा कुत्तों से पशुपालक भी परेशान हैं उनके पालतू पशु मुर्गी, गाय, भेड़, बकरी को भी निशाना बनाया जा रहा है। ग्रामीणों को इन कुत्तों से निजात पाने का कोई भी रास्ता नजर नहीं आ रहा है।
शहरों से लेकर ग्रामीण क्षेत्रों में फैला आतंक
बडे शहरों में आवारा कुत्तों का आतंक अक्सर प्रकाशित होते रहता हैं। लेकिन ग्रामीण क्षेत्र में भी आवारा कुत्तों का आतंक छाया हुआ है जिसकी जानकारी के बावजूद भी शासन-प्रशासन इस ओर ध्यान नहीं दे रहा है। बोरगांव व आसपास के क्षेत्र में आवारा कुत्तों का आतंक के विषय में पत्रिका में 12 जून 2018 को प्रकाशित हुआ था लेकिन शासन की ओर से किसी भी प्रकार की कार्रवाई पहल अब तक नहीं की गई और कुत्तों का लगातार आतंक मचाना जारी है।
समाधान की कोशिश की जाएगी
इस संबंध में गांव के सरपंच चंद्रकला सरकार ने कहा कि ग्रामीणों से आवेदन तो आया हुआ है, लेकिन हमारे पास कोई प्रशिक्षित व्यक्ति नहीं है। उच्च अधिकारियों से चर्चा एवं मार्गदर्शन लेकर समाधान की जल्द ही कोशिश की जाएगी।
झुंड में तलाशते हैं कुत्ते शिकार
स्थानीय लोगों का कहना है कि हर मोहल्ले, पारा में 12-13 कुत्तों के झुंड शिकार तलाशते रहते है। मौका मिलने पर बच्चों व पालतू जानवरों पर हमला करते हैं। कुत्तों की वजह से बच्चों का खेलने के लिए घर से बाहर निकलना मुश्किल हो गया है।
न बरतें लापरवाही, जल्द करवाएं इलाज
आयुर्वेद चिकित्सा अधिकारी डॉ योगेश विश्वकर्मा ने बताया की कुत्ते के काटने, खरोंचने से रेबीज के जानलेवा संक्रमण का खतरा हो सकता है तथा कुत्ते के काटने, खरोचने पर लापरवाही बिल्कुल न बरतें। घरेलू जड़ी बूटी उपचार के चक्कर में न पड़कर बिना देर किए निकट के स्वास्थ्य केंद्र में उपचार कराएं तथा बचाव के लिए टीका लगवाएं।
एंटी रेबीज वेनम उपलब्ध
खंड चिकित्सा अधिकारी डॉ. लखन जुर्री के अनुसार अस्पताल में एंटी रेबीज वेनम पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध है।