इसके साथ ही एनसीबीसी (NCBC) ने राज्य से अपने सुझावों के अनुसार ओबीसी (obc) कोटा 17% से 22% न करने का औचित्य भी पूछा हैं। आयोग ने पिछले कुछ सालों में राज्य के विभिन्न क्षेत्रों में रोजगार के जातिवार विवरण का डेटा भी माँगा हैं।
राज्य सरकार की सुस्ती के कारण मिला नोटिस?
सूत्रों के मुताबिक़ इस नोटिस का कारण राज्य सरकार द्वारा इन 87 समुदायों को ओबीसी (obc) सूची में शामिल करने की सिफारिश करते समय धार्मिक रूपांतरण करने वाले व्यक्तियों के जातिगत इतिहास का विवरण प्रदान करने में विफलता हैं। ऐसा माना जा रहा हैं कि ओबीसी (obc) सूची के लिए प्रस्तावित 87 समुदायों में से 76 मुस्लिम समुदाय के हैं जबकि शेष 9 हिंदू हैं।
इसीलिए पश्चिम बंगाल (west bengal) के मुख्य सचिव और राज्य ओबीसी कल्याण विभाग के सचिव को 3 नवंबर को होने वाली आयोग की आगामी सुनवाई में एनसीबीसी (NCBC) द्वारा मांगे गए आवश्यक दस्तावेज जमा करने का निर्देश दिया गया है।
साथ ही आयोग ने अपने सुझावों के अनुसार ओबीसी (obc) कोटा 17% से 22% न करने का कारण भी सरकार से पूछा हैं।
आयोग का मानना हैं कि चूँकि राज्य ओबीसी (obc) आयोग के अनुसार बंगाल में इन पिछड़ी जातियों में से कई को हिंदू धर्म से इस्लाम में परिवर्तित कर दिया गया था लेकिन राज्य को अपने दावे का समर्थन करने के लिए ऐसी जातियों का विस्तृत विवरण पेश करना चाहिए कि वे पहले हिंदू ओबीसी (obc) थे और उन्होंने धर्म परिवर्तन कर लिया। राज्य की ओबीसी (obc) सूची में 179 जातियों में से 118 जातियां मुस्लिम हैं।
धर्म और जाति को लेकर भाजपा-टीएमसी में राजनीतिक घमासान
भाजपा ने तृणमूल कांग्रेस पर ओबीसी (obc) सूची नामांकन में धार्मिक विचारों का उपयोग करने का आरोप लगाया है और कहा कि मौजूदा राज्य सूची में 179 जातियों में केवल 61 जातियां ही हिंदू हैं। इसके जवाब में राज्य की सत्ताधारी पार्टी ने पलटवार करते हुए कहा कि हालांकि सूचीबद्ध मुस्लिम समुदायों की संख्या अधिक हो सकती है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि राज्य में कुल ओबीसी (obc) आबादी में मुसलमानों की संख्या हिंदुओं से अधिक है। यह पूरी तरह से संभव है कि कम हिंदू ओबीसी (obc) श्रेणियों के तहत शामिल कुल आबादी कई मुस्लिम ओबीसी (obc) श्रेणियों के तहत कुल आबादी से अधिक हो सकती है।