कोलकाता . अलकेमिस्ट चीट फंड मामले में बीजेपी विधायक और पूर्व तृणमूल नेता मुकुल रॉय से पूछताछ करने के 48 घंटे बाद ईडी ने राज्य के बिजली मंत्री अरूप विश्वास को बुधवार को तलब किया। बताया जा रहा है कि अलकेमिस्ट चीट फंड मामले में कई करोड़ रुपये के गबन के आरोप पर उनसे पूछताछ की जाएगी।
अरूप विश्वास दक्षिण कोलकाता से तृणमूल कांग्रेस के नेता हैं। ममता बनर्जी के विश्वासपात्र माने जाते हैं। मेयर फिरहाद हकीम की तरह, अरूप बिस्वास भी ममता के अंदरूनी घेरे में शामिल चेहरों में से एक हैं। सत्तारूढ़ पार्टी के अंदर और बाहर हर जगह उनका दबदबा है। ऐसे में जब अरूप को ईडी द्वारा तलब किए जाने की खबर फैली तो राज्य की राजनीति में हंगामा मच गया।
चिटफंड भ्रष्टाचार के आरोप एक समय बंगाल में सत्तारूढ़ पार्टी के खिलाफ भाजपा का मुख्य हथियार था। हाल ही में भर्ती भ्रष्टाचार के मुद्दे को भाजपा ने अपना हथियार बनाया है। उस लिहाज से देखा जाए तो चिटफंड जांच में अचानक आई तेजी ने हैरानी पैदा कर दी है।
अलकेमिस्ट इंफ्रा रियल्टी पर सेबी की अनुमति के बिना निवेशकों से 1,916 करोड़ रुपये लेने का आरोप था। उस कंपनी के मालिक तृणमूल के पूर्व राज्यसभा सांसद केडी सिंह हैं। ईडी ने वित्तीय धोखाधड़ी के आरोप में 2021 विधानसभा चुनाव से पहले केडी सिंह को गिरफ्तार किया था।
सूत्रों के मुताबिक, मुकुल की केडी से नजदीकियां थीं। जिरह के दौरान केडी ने जांचकर्ताओं को मुकुल के बारे में भी बताया। इसी आधार पर केंद्रीय जांच एजेंसी ने हाल ही में कृष्णानगर उत्तर के भाजपा विधायक को तलब किया था। हालाँकि, शारीरिक बीमारी के कारण जब वे नहीं गए तो उनसे पूछताछ करने के लिए ईडी के अधिकारी उनके घर पहुंचे। ईडी के अधिकारी दो दिन पहले उनके घर का दौरा किया और उनसे पूछताछ की। इस बार मंत्री अरूप को बुलाया गया है।
सूत्रों के मुताबिक, चिटफंड मामले में अरूप को मंत्री के तौर पर नहीं, बल्कि तृणमूल के कोषाध्यक्ष के तौर पर तलब किया गया है। ईडी सूत्रों के मुताबिक, अलकेमिस्ट के खाते से करोड़ों रुपये के लेनदेन की जानकारी जांचकर्ताओं के हाथ लगी है। उसी आधार पर अरूप को तलब किया गया है।
मालूम हो दस साल पहले सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर सीबीआइ ने चिटफंड मामले की जांच शुरू की थी। बाद में ईडीओ ने भी जांच शुरू की। बीच में ऐसा लग रहा था कि जांच ठंढे बस्ते में चली गई है। लेकिन लोकसभा चुनाव से पहले मामला फिर से जाग उठा है।
अरूप विश्वास दक्षिण कोलकाता से तृणमूल कांग्रेस के नेता हैं। ममता बनर्जी के विश्वासपात्र माने जाते हैं। मेयर फिरहाद हकीम की तरह, अरूप बिस्वास भी ममता के अंदरूनी घेरे में शामिल चेहरों में से एक हैं। सत्तारूढ़ पार्टी के अंदर और बाहर हर जगह उनका दबदबा है। ऐसे में जब अरूप को ईडी द्वारा तलब किए जाने की खबर फैली तो राज्य की राजनीति में हंगामा मच गया।
चिटफंड भ्रष्टाचार के आरोप एक समय बंगाल में सत्तारूढ़ पार्टी के खिलाफ भाजपा का मुख्य हथियार था। हाल ही में भर्ती भ्रष्टाचार के मुद्दे को भाजपा ने अपना हथियार बनाया है। उस लिहाज से देखा जाए तो चिटफंड जांच में अचानक आई तेजी ने हैरानी पैदा कर दी है।
अलकेमिस्ट इंफ्रा रियल्टी पर सेबी की अनुमति के बिना निवेशकों से 1,916 करोड़ रुपये लेने का आरोप था। उस कंपनी के मालिक तृणमूल के पूर्व राज्यसभा सांसद केडी सिंह हैं। ईडी ने वित्तीय धोखाधड़ी के आरोप में 2021 विधानसभा चुनाव से पहले केडी सिंह को गिरफ्तार किया था।
सूत्रों के मुताबिक, मुकुल की केडी से नजदीकियां थीं। जिरह के दौरान केडी ने जांचकर्ताओं को मुकुल के बारे में भी बताया। इसी आधार पर केंद्रीय जांच एजेंसी ने हाल ही में कृष्णानगर उत्तर के भाजपा विधायक को तलब किया था। हालाँकि, शारीरिक बीमारी के कारण जब वे नहीं गए तो उनसे पूछताछ करने के लिए ईडी के अधिकारी उनके घर पहुंचे। ईडी के अधिकारी दो दिन पहले उनके घर का दौरा किया और उनसे पूछताछ की। इस बार मंत्री अरूप को बुलाया गया है।
सूत्रों के मुताबिक, चिटफंड मामले में अरूप को मंत्री के तौर पर नहीं, बल्कि तृणमूल के कोषाध्यक्ष के तौर पर तलब किया गया है। ईडी सूत्रों के मुताबिक, अलकेमिस्ट के खाते से करोड़ों रुपये के लेनदेन की जानकारी जांचकर्ताओं के हाथ लगी है। उसी आधार पर अरूप को तलब किया गया है।
मालूम हो दस साल पहले सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर सीबीआइ ने चिटफंड मामले की जांच शुरू की थी। बाद में ईडीओ ने भी जांच शुरू की। बीच में ऐसा लग रहा था कि जांच ठंढे बस्ते में चली गई है। लेकिन लोकसभा चुनाव से पहले मामला फिर से जाग उठा है।