हिंसा की संस्कृति को बदलने की सख्त जरूरत
तीसरी बार सांसद बनने के लिए चुनाव लड़ रह देव ने कहा कि पश्चिम बंगाल में राजनीतिक हिंसा की संस्कृति को बदलने की सख्त जरूरत है, इसकी प्रमुख जिम्मेदारी राज्य के नेताओं की है। राज्य में तीन चरणों का मतदान शांतिपूर्ण तरीके से बीतने और चौथे चरण में कुछ हिस्सों में हिंसा की छिटपुट घटनाएं सामने आने के बाद उन्होंने दावा किया कि उन्होंने राज्य के पश्चिम मिदनापुर जिले में अपने गृह निर्वाचन क्षेत्र घाटाल में शांतिपूर्ण तरीके से मतदान सुनिश्चित करने की शुरुआत की है।
नेताओं, समर्थकों दोनों को बदलने की जरूरत
पश्चिम बंगाल में सोमवार को हुए मतदान के दौरान पूरे दिन दुर्गापुर और बीरभूम से हिंसा की छिटपुट घटनाओं पर प्रतिक्रिया देते हुए देव ने कहा कि नेताओं और उनके समर्थकों दोनों को बदलने की जरूरत है। मतदाताओं को उन लोगों के पक्ष में मत करना चाहिए जो योग्य हैं और जो उनके जीवन में बदलाव लाएंगे। उन्हें उन नेताओं को मत देना चाहिए जो लोगों का सम्मान करते हैं, न कि उन लोगों को जो मंच पर बकवास करते हैं। उन्होंने कहा कि मैं दुनिया को नहीं बदल सकता, लेकिन अगर मैं खुद को बदल सकता हूं और अगर लोग मुझमें उस बदलाव को देख कर कुछ सीख सकते हैं तो मुझे लगता है कि मेरा काम पूरा हो गया।
सार्वजनिक बोलचाल के तरीके बदलें
देव ने कहा कि राज्य में सोमवार को मतदान की शुरुआत बहुत सुखद रही जब बर्दवान-दुर्गापुर सीट के दो विरोधी उम्मीदवार दिलीप घोष और तृणमूल के कीर्ति आजाद ने एक-दूसरे को बधाई दी और गले मिलते दिखे, लेकिन फिर कितनी तेजी से यह हिंसा और झड़प में बदल गया। इस पर देव ने कहा कि वह इस घटना से दुखी हैं। उन्होंने कहा कि मुझे लगता है कि जमीनी स्तर पर कार्यकर्ताओं में गलत संदेश गया है। मेरा मानना है कि नेताओं को सबसे पहले निर्णय लेना होगा और अपने व्यवहार, सार्वजनिक बोलचाल के तरीके और आचरण में बदलाव लाना होगा। तभी वे लोगों का समर्थन पा सकते हैं।