कसरावद (खरगौन। राष्ट्रीय राजमार्ग पर निमरानी इंडस्ट्रियल एरिया (nimrani industrial area) में स्थित सेंचुरी कारखाने द्वारा मजदूरों को स्वेच्छिक सेवानिवृत्त लेने के लिए गए फैसले के खिलाफ चल रहे आंदोलन के बीच मजदूरों के समर्थन में नर्मदा बचाओ आंदोलन की नेत्री व समाजसेवी मेधा पाटकर भी शुक्रवार को मैदान में उतर आई। पुलिस छावनी में तब्दील सेंचुरी कंपनी के मुख्य गेट पर तीन साल से सत्याग्रह कर रहे मजदूरों संबोधित करते हुए मेधा पाटकर बोली एक हजार कामगारों को बेरोजगार नहीं कर सकती है।
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वीआरएस देकर कंपनी बेचने में दूसरी बार मनमानी हो रही कोर्ट के आदेश एकानून और संविधान का पालन करें बिरला समूह। पाटकर ने कहा कि एक हजार श्रमिकों और कर्मचारी पिछले 3 सालों से एकजुटता के साथ संघर्षरत है। श्रमिकों ने औद्योगिक न्यायालय में साबित किया है कि सेंचुरी की मिल वेयरिट ग्लोबल कंपनी को बेचने का अनुबंध गैरकानूनी था।
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सेंचुरी प्रबंधन के उच्च न्यायालय में हार होने के बाद वह बिक्रीनामा रद्द करना पड़ा। श्रमिकों ने कुछ लाख रुपए का स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति योजना नकारने पर मिल के उपाध्यक्ष डालमिया ने स्वयं इंदौर आ कर श्रमिकों की संख्या को एक रुपए की नाममात्र राशि पर दोनों मिल से बहाल करके उनसे चलाने का प्रस्ताव रखा।
इस प्रस्ताव पर श्रमिक एकता के साथ पूर्ण तैयारी जानकारों की सलाह के बाद सत्याग्रह आंदोलन चलाते चलाते हुए मिल चलाने के लिए लेना स्वीकृत किया है। पिछले 3 सालों से 90 प्रतिशत श्रमिकों ने श्रमिक जनता संघ की यूनियन की सदस्यता स्वीकार करते हुए कहा हमें वीआरएस नहीं रोजगार चाहिए।
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कंपनी मनमानी नहीं करे और श्रमिकों ने मिल चलाने की ठानी यही संकल्प लिया है। पाटकर ने कंपनी प्रबंधन को चेताया कि बिना कामगारों की अनुमति के सेंचुरी कंपनी ने वीआरएस के तहत 3 से 5 लाख की राशि श्रमिक को देने वाली है। जबकि कामगार काम चाहते हैं, वीआरएस नहीं।