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खरगोन

यहां आदिवासियों के साथ हुआ छलावा, अधिकार से रखा वंचित

-देजला-देवाड़ा के डूब प्रभावितों को 25 साल पहले मछली पालन की दी टे्रनिंग, काम किसी ओर को सौंपा

खरगोनJul 27, 2021 / 07:47 pm

Gopal Joshi

Here the tribals were deceived, deprived of rights

खरगोन. जलाशय में मछली पालन का हक मांगने आए ग्रामीण।

खरगोन.
सरकारी सिस्टम में गड़बड़ी की खबरें कई बार सामने आती हैं। इस बार भी कुछ ऐसा ही गड़बड़झाला खरगोन जिले के अफसरों ने किया है। जिन आदिवासियों को उनका हक मिलना था वह मिलीभगत के चलते किसी ओर को दे दिया। प्रभावित लोग अब भी हक, अधिकार की मांग लेकर कार्यालयों के चक्कर काट रहे हैं। मामला देजला-देवाड़ा के रहवासियों का है। बांध निर्माण के दौरान यहां से जिन लोगों को हटाया, उन्हें मुआवजा देने के बाद यह करार हुआ था कि जलायश में मछली पालन का अधिकार उनका होगा। यह करार 1996 में हुआ। बाकायदा उन्हें काम की टे्रनिंग दी गई, लेकिन अब वहां काम कोई अन्य संस्था कर रही है। प्रभावित लोगों ने अपना अधिकार लेने के लिए कलेक्टोरेट में ज्ञापन दिया है।
मंगलवार को जिला मुख्यालय पहुंचकर ग्रामीणों ने ज्ञापन सौंपा। रहवासियों ने बताया हम डूब प्रभावित है। हमें मुआवजा देने के बाद वर्ष 1996 में मत्स्य विभाग ने मछली पालन का प्रशिक्षण दिया। तब यह तय हुआ था कि परिवार का पालन-पोषण करने के लिए जलाशय में मछली पालन का काम हम करेंगे। लेकिन अफसरों की सांठगांठ के चलते यह काम हमीरपुरा की 104 सदस्यीय सोसायटी को सौंपा गया। अफसरों की इस कारस्तानी से हमारा जीवन दूभर हो गया है। रहवासियों ने न्याय की मांग की है।
इस संस्था को दिया काम
ज्ञापन देने आए गंगाराम, निहालसिंह, भूंटा धनसिंग आदि ने बताया कि वर्तमान में यहां आदिवासी मत्स्य उद्योग सहकारी संस्था मर्यादित देजला-देवाड़ा समिति काम कर रही है। इस समिति में १०४ सदस्य है जो हमीरपुरा के हैं। जबकि कायदे से यह काम हमें मिलना था। गामीणों ने बताया पुनर्वास अधिनियम के तहत व्यवस्था बनाए रखने के लिए जलाशय में मछली पालन की प्राथमिकता हमें दी गई। इसका जिम्मा शासन, प्रशासन को सौंपा गया। लेकिन कुछ लोगों से सांठगांठ कर उन्हें यह काम दिया गया जो डूब प्रभावित नहीं है। रहवासियों ने उक्त समिति का पंजीयन निरस्त करने और मछली पालन का काम उन्हें देने की मांग की है।

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