मध्यप्रदेश के खरगोन जिले की 51 साल की मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट (CJM) ने बेटी को जन्म दिया और नन्हीं परी को दुलार भी नहीं कर पाई और दुनिया से विदा हो गई। खरगोन में पदस्थ जज पद्मा राजोरे की तबीयत डिलीवरी के बाद बिगड़ गई थी। बताया जाता है कि पद्मा अपने कर्तव्य के प्रति इतनी निष्ठावान थी कि गर्भावस्था के दौरान भी 9 माह तक लगातार कोर्ट जाती रही। इस घटना से सभी हैरान हैं। खरगोन कोर्ट में शोक सभा रखकर महिला जज को नमन किया।
51 की उम्र में वे मां तो बनीं, लेकिन संतान पर ममत्व लुटाने से पहले दुनिया से विदा हो गईं। मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट (सीजेएम) रहते जिसने कानून के मंदिर में न्याय किया, उसे नियति की अदालत में मौत की सजा मिली। परिवार उसकी कोख से जन्मी नन्ही कृति में उन्हें देख रहा है। हम बात कर रहे हैं प्रसव के दौरान जिंदगी की जंग हारने वालीं सीजेएम पद्मा राजोरे तिवारी की। बिटियां को जन्म देने के बाद गुरुवार को पदमा की इंदौर के अस्पताल में मौत हो गई। वे इंदौर की रहने वाली थीं। प्रसव के बाद तबीयत बिगड़ी तो डॉक्टरों ने वेंटिलेटर पर रखा।
प्रसव के लिए लिया मेडिकल अवकाश
सीजेएम पद्मा ने गर्भावस्था के दौरान भी न्यायालय में सेवाएं दी थी। वे प्रसव के लिए 8 जनवरी से मेडिकल अवकाश पर थीं। शहर के अस्पताल में इलाज चल रहा था। हालत बिगड़ी तो इंदौर रेफर किया। बेटी के जन्म के बाद मौत हो गई। राऊ में अंतिम संस्कार किया गया।
कर्मचारियों के अनुसार उनका जन्म 24 अक्टूबर 1973 को हुआ था। इंदौर की रहने वाली पद्मा राजोरे 14 जुलाई 2021 को सीजेएम कोर्ट में न्यायाधीश के पद पर पदस्थ हुई थी, उन्होंने गर्भवती होने के दौरान पूरे 9 माह तक न्यायालय में सेवाएं दी थीं। परिजनों ने बताया कि पद्मा को डिलीवरी के बाद पीलिया हो गया था। उसके बाद उनके स्वास्थ्य में सुधार नहीं हुआ। इसी के कारण उन्हें सीएचएल अपोलो इंदौर ले जाया गया, जहां उन्होंने संघर्ष करते हुए दम तोड़ दिया।