पानी पर तैरता हुआ सौर ऊर्जा का दुनिया में सबसे बड़ा पॉवर प्लांट (600 मेगावॉट) जल्द ही ओंकारेश्वर में मां नर्मदा के आंचल में आकार लेगा। ओंकारेश्वर फ्लोटिंग सोलर पॉवर प्लांट को अंतरराष्ट्रीय वित्त निगम की सहमति मिलने के बाद गुरुवार को सरकार इसका एमओयू साइन करेगी। तीन कंपनियां पहले चरण में 278 मेगावॉट की क्षमता से प्लांट को बनाएंगी। सितंबर-अक्टूबर से इसका काम शुरू हो जाएगा। अगले साल से बिजली उत्पादन भी शुरू हो जाएगा।
ओंकारेश्वर फ्लोटिंग सोलर प्लांट के स्थानीय प्रभारी खरगोन जिला अक्षय ऊर्जा निगम अधिकारी राजेंद्र गोयल ने बताया कि पहले चरण के 278 मेगावॉट क्षमता का अनुबंध गुरुवार को भोपाल के कुशाभाऊ ठाकरे सभागृह में होगा। इसमें एनएचडीसी, एनएनसी सोलर एमओयू साइन करेंगे। पॉवर ग्रिड कॉर्पोरेशन के सहयोग से ये योजना लाई गई है। 600 मेगावॉट की फ्लोटिंग सौर ऊर्जा प्लांट की लागत 3 हजार करोड़ रुपए है। इसे विश्व बैंक से भी अनुमति मिल गई है। 600 मेगावॉट की परिजयोजना के पहले चरण में 278 मेगावॉट बिजली का उत्पादन होगा .
आपको बतादें कि अभी देश में आंध्रप्रदेश में महज 100 मेगावॉट का सोलर प्लांट है, जो पानी पर बना है, लेकिन मध्यप्रदेश में नर्मदा नदी पर तैयार होने वाला ये सोलर प्लांट 500 मेगावॉट का होगा, इसलिए ये दुनिया का सबसे बड़ा सोलर प्लांट रहेगा।
आंध्र प्रदेश के विशाखापट्टनम के मेघाद्री गेड्डा जलाशय में ‘पानी में तैरता सोलर पावर प्लांट’ (फ्लोटिंग सोलर पैनल परियोजना) की शुरुआत की गई है। यह 12 एकड़ के क्षेत्र में फैला हुआ है, जो हर साल 42 लाख यूनिट बिजली का उत्पादन करेगा। फ्लोटिंग सोलर पावर प्लांट के जरिए बिजली उत्पादन से 54,000 टन कोयले की बचत हो सकेगी। इसके साथ ही हर साल 3,022 टन उत्सर्जन में भी कमी आएगी। पॉवर मिनिस्ट्री के अनुसार रामागुंडम में 100 मेगावाट की फ्लोटिंग सोलर प्रोजेक्ट को एडवांस तकनीक के साथ बनाया गया है, जो देश की अग्रणी सार्वजनिक क्षेत्र की बिजली उत्पादक है।