Dhuniwale Dadaji Dham गुरु पूर्णिमा का सबसे बड़ा उत्सव, बहुत खास है यह आरती दादा दरबार में पर्व के एक दिन पूर्व गुरुवार को जहां 10 हजार श्रद्धालु पहुंचे थे। वहीं, मुख्य दिवस पर ये संख्या कम रही। बारिश के चलते भी सुबह श्रद्धालु कम ही पहुंचे। वहीं, शाम को जरूर श्रद्धालुओं की भीड़ लगी, लेकिन पर्व पर उमडऩे वाली भीड़ जैसा कोई नजारा देखने को नहीं मिला। गुरु पूर्णिमा पर दादाजी दरबार में निशान चढ़ाने की परंपरा भी जारी रही। शुक्रवार अलसुबह 3.30 बजे बैतूल से श्रद्धालुओं का जत्था निशान लेकर दादाजी दरबार पहुंचा। वहीं, शाम में भी स्थानीय श्रद्धालुओं ने दादाजी दरबार पहुंचकर निशान अर्पित किए।
Sawan Mass कोरोनाकाल में ऐसे कर सकेंगे महाकाल के दर्शन, सवारी के लिए मार्ग तय श्री दादाजी दरबार में दिवसीय गुरु पूर्णिमा उत्सव का मुख्य दिवस शुक्रवार को मनाया गया। पर्व की महाआरती रात 8 बजे हुई। 108 दीपों की आरती में श्रद्धालुओं की आस्था उमड़ी। इससे पहले दिनभर भी दादाजी भक्तों का आना-जाना लगा रहा। सुबह बारिश में भी भक्त अपने गुरु के चरणों में शीश नवाने पहुंचे। कोरोना काल को देखते हुए प्रशासन ने दादाजी धाम में श्रद्धालुओं का प्रवेश प्रतिबंधित किया था, लेकिन स्वअनुशासित दादाजी भक्तों ने बिना प्रशासन के किसी भी नियम को तोड़े अपने आराध्य के दर्शन किए।
एमपी के मंत्री बोले— जनसंख्या नियंत्रण कानून की जरुरत नहीं चढ़ाए सोने—चांदी के छत्र
गौरतलब है कि धूनीवाले दादाजी की समाधि स्थल दादाजी धाम में गुरुपूर्णिमा उत्सव बहुत धूमधाम से मनाया जाता है। इस मौके पर यहां लाखों लोग आते रहे हैं। यहां हर साल पर्व पर बड़े दादाजी महाराज और छोटे दादाजी महाराज की समाधियों के ऊपर सोने चांदी के छत्र चढ़ाए जाते है। परंपरा अनुसार बुधवार रात १२ बजे ये अटल छत्र निशान पेश किए गए थे।
गौरतलब है कि धूनीवाले दादाजी की समाधि स्थल दादाजी धाम में गुरुपूर्णिमा उत्सव बहुत धूमधाम से मनाया जाता है। इस मौके पर यहां लाखों लोग आते रहे हैं। यहां हर साल पर्व पर बड़े दादाजी महाराज और छोटे दादाजी महाराज की समाधियों के ऊपर सोने चांदी के छत्र चढ़ाए जाते है। परंपरा अनुसार बुधवार रात १२ बजे ये अटल छत्र निशान पेश किए गए थे।