लोकपर्व गणगौर… ईसर-पार्वती के लोकगीतों के साथ हुई गणगौर माता की स्थापना
चैत्र कृष्ण ग्यारस पर बाडिय़ों में ज्वारे बोने के साथ हुई शुरुआत-दो साल नजर आएगा पर्व का उल्लास, तीज पर खुलेगी बाड़ी, बौढ़ाएंगे रथ
चैत्र कृष्ण ग्यारस पर बाडिय़ों में ज्वारे बोने के साथ हुई शुरुआत
खंडवा.
निमाड़ का लोक पर्व कहलाने वाले गणगौर उत्सव की शुरुआत सोमवार चैत्र कृष्ण एकादशी से बाडिय़ों में ज्वारे बोने के साथ हो गई। बाड़ी संचालक परिवार की महिलाएं सुबह होली की राख से खड़े (पत्थर) चुनकर लाईं। गणगौर स्थापना वाले श्रद्धालु ज्वारे लेकर बाडिय़ों में पहुंचें और यहां बाड़ी संचालक द्वारा ज्वारों की स्थापना की गई। चैत्र शुक्ल तीज पर बाडिय़ा खुलेंगी और श्रद्धालु ज्वारे अपने घर ले जाएंगे। यहां ईसर-पार्वती रूप में रथ भी बौढ़ाए जाएंगे।
शहर में 10 से ज्यादा माता की बाडिय़ों में सोमवार को गणगौर स्थापना हुई। कहारवाड़ी स्थित बाड़ी संचालक पं. लक्ष्मीनारायण लोहार ने बताया सुबह 10 बजे माता के खड़े लाए गए। शाम को महिलाएं-पुरुष जोड़े से टोकनियों में ज्वारे लेकर आएंगे, जिनकी स्थापना बाड़ी में की जाएगी। 1 अप्रैल अमावस्या पर माता घुंघराई जाएगी और घुंघरी-लापसी प्रसादी वितरण होगा। 4 अप्रैल तीज पर बाड़ी खुलेगी। शहर में पड़ावा, गणेश तलाई, इंदौर नाका पवन चौक, जबरन कॉलोनी, चंपा तलाब, नाई मोहल्ला, कहारवाड़ी, गुरवा मोहल्ला में बाडिय़ां बोई जाएगी। सात दिन तक बाडिय़ों में झालरियां गीतों की गूंज सुनाई देगी।
दो साल बाद होंगे भंडारे, बौढ़ाएंगे रथ
उल्लेखनीय है कि गणगौर उत्सव पूरे निमाड़ में उल्लास के साथ मनाया जाता है। मान्यता है कि चैत्र कृष्ण की एकादशी पर गणगौर माता के रूप में रणुबाई अपने मायके आती है। चैत्र शुक्ल की तीज को धनियार राजा उन्हें लेने ससुराल आते है। यहां गणगौर स्थापना वाले परिवार, समाज द्वारा रथ बौढ़ाए जाते है, यानि रणुबाई को मायके में रोका जाता है। रथ बौढ़ाने वाला परिवार, समाज भंडारे का आयोजन करता है। कोरोना के चलते पिछले दो साल से ये आयोजन कोविड-19 गाइड लाइन के तहत सीमित संख्या में किए जा रहे है। इस साल कोरोना का साया नहीं होने से पर्व धूमधाम से मनाया जाएगा।
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