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CG Competitive Exam 2024: आखिर क्यों घट रही प्रतियोगी परीक्षाओं में छात्रों की संख्या, सामने आई यह बड़ी वजह

CG Competitive Exam 2024: एक माह से लगातार प्रतियोगिता परीक्षा या फिर प्रवेश परीक्षा आयोजित हो रही है। इस दौरान देखने को मिल रहा है परीक्षार्थी इन परीक्षाओं में रुचि नहीं ले रहे हैं।

कवर्धाJun 25, 2024 / 07:33 am

Khyati Parihar

CG Competitive Exam 2024: एक माह से लगातार प्रतियोगिता परीक्षा या फिर प्रवेश परीक्षा आयोजित हो रही है। इस दौरान देखने को मिल रहा है परीक्षार्थी इन परीक्षाओं में रुचि नहीं ले रहे हैं। परीक्षा दिलाने वालों से अधिक संख्या अनुपस्थित हैं।
रविवार को एक साथ दो प्रकार की परीक्षा आयोजित हुई। सुबह पाली में टेट और पीपीटी की परीक्षा हुई जबकि दोपहर पाली में एक और टेट की परीक्षा हुई। शिक्षक पात्रता परीक्षा(टेट) सुबह 9.30 बजे से अपरान्ह 12.15 बजे हुई। इसके लिए कवर्धा में 18 परीक्षा केंद्र बनाए गए थे। इन केंद्रों में कुल 6063 परीक्षार्थियों के लिए बैठक व्यवस्था थी, लेकिन इसमें 4038 उपस्थित रहे जबकि 2025 अनुपस्थित।
CG Competitive Exam 2024: वहीं दूसरी पाली में शिक्षक पात्रता परीक्षा (रिवाइस) के लिए जिलेभर में 24 केंद्र रहे जिसमें दोपहर 2 बजे से शाम 4.45 बजे तक परीक्षा हुई। परीक्षा में कुल 8069 परीक्षार्थियों को परीक्षा दिलानी थी, लेकिन 2619 अनुपस्थित रहे। इस तरह से 5450 परीक्षार्थियों ने टेट की परीक्षा दिलाई। इस तरह से प्रथम पाली में 66 प्रतिशत तो दूसरी पाली में 67 प्रतिशत परीक्षार्थी ही परीक्षा में शामिल हुए।
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79 प्रतिशत अनुपस्थित

रविवार को प्रथम पाली में टेट के अलावा पीपीटी की प्रवेश परीक्षा भी आयोजित हुई। इसके लिए कवर्धा से बोड़ला तक चार केंद्र निर्धारित थे। परीक्षा सुबह 9 बजे 12.15 बजे चला, जिसमें कुल 895 परीक्षा दिलाने वाले थे, लेकिन मात्र 186 ही परीक्षा में शामिल हुए। मतलब 20.78 प्रतिशत ही, जबकि इसके विपरित 709 परीक्षार्थी अनुपस्थित रहे।

CG Competitive Exam 2024: अनुपस्थित का मुय कारण यह बता रहे

प्रवेश परीक्षा हो या फिर प्रतियोगी परीक्षा परीक्षार्थियों की संख्या कम हो रही है। इसका मुख्य कारण परीक्षा फीस माना जा रहा है। बीते कांग्रेस सरकार ने प्रतियोगिता परीक्षाओं के लिए फीस लेना बंद करा दिया। इसके कारण बड़ी संख्या में आवेदन करने लगे। ऐसे में जब परीक्षा आती है तो जो परीक्षा केवल औपचारिकता के पंजीयन कराए रहते हैं वह परीक्षा दिलाने पहुंचते ही नहीं है। फीस नहीं लेने से भले ही विद्यार्थियों को राहत है लेकिन जो सरकारी व्यवस्था रहती है वह बिगड़ रही है। क्योंकि परीक्षार्थियों की अधिक संया के चलते पूरी व्यवस्था करनी होती है लेकिन अनुपात में परीक्षार्थी पहुंच नहीं रहे।
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