राजधानी की शोभा बढ़ा रहीं कटनी स्टोन पर शिल्पकारों की उकेरी कलाकृतियां
•Jan 29, 2022 / 11:33 pm•
raghavendra chaturvedi
देश के जाने-माने शिल्पकारों द्वारा कटनी स्टोन आर्ट फेस्टिवल आधारशिला के दौरान कटनी के पत्थरों पर उकेरी गईं कलाकृतियां अब मध्यप्रदेश की राजधानी की शोभा बढ़ा रही हैं। भोपाल में नवनिर्मित रवीन्द्र सभागम केन्द्र परिसर में स्टोन आर्ट फेस्टिवल आधारशिला के दौरान शिल्पकारों द्वारा बनाई गई कलाकृतियों में से छह कलाकृतियों को नवीन परिसर में स्थापित किया गया है। बुधवार को रवीन्द्र सभागम केन्द्र का लोकार्पण गणतंत्र दिवस पर राज्यपाल मंगुभाई पटेल के मुख्य आतिथ्य व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की अध्यक्षता में आयोजित कार्यक्रम के दौरान किया गया।
लोकार्पण समारोह के दौरान कटनी स्टोन पर बनी कलाकृतियां लोगों के आकर्षण का केन्द्र रहीं। बतादें कि एक जिला-एक उत्पाद के तहत कटनी स्टोन का कटनी जिले में चयन किया गया है। जिसके चलते कटनी स्टोन को प्रमोट करने के लिए जिला प्रशासन ने 9 से 28 नवंबर तक कटनी स्टोन आर्ट फेस्टिवल आधारशिला का आयोजन जागृति पार्क कटनी में किया था।
इसी तरह से इंदौर के शिल्पकार जगदीश वेगढ़ ने कटनी के पीले स्टोन पर मां लक्ष्मी का प्रतीक मानी जाने वाली विशाल कौड़ी का निर्माण किया था, जो परिसर में लोगों के आकर्षण का केन्द्र बनी हुई है। इसके अलावा तमिलनाडू के शिल्पकार डीवी मुरूगन की कल्चर एंड हेरीटेज पर आधारित शिल्प, हंसराज कुमावत की विदइन शिल्प, रवि कुमार की प्यूरिटी ऑफ रीलेशनशिप, रमनदीप की माइंडस्कैप 2 कलाकृति भी परिसर में स्थापित की गई है।
राजधानी के रवीन्द्र सभागम परिसर में आधारशिला में जबलपुर की शिल्पकार सुप्रिया अंबर द्वारा बनाई गई वैदिक काल की महान दार्शनिक गार्गी वाचकन्वी कलाकृति भी शोभा बढ़ा रही है। अंबर ने आधारशिला के दौरान फीमेल इंडियन लासिफी के रूप में पहला कल्चर अपनी शिल्पकला के माध्यम से उकेरा था।
कटनी स्टोन आर्ट फेस्टिवल के दौरान शिल्पकार रमनदीप सिंह, मनदीप खैरा मनसा पंजाब, प्रदीप बी जोगडांड मुंबई, हरपाल सिरसा हरियाणा, विनय अंबर जबलपुर, रमेश चंद्रा, रवि कुमार, नीरज विश्वकर्मा उत्तरप्रदेश, योगेश के प्रजापति नई दिल्ली, हंसराज कुमावत जयपुर, डीवी मुरूगन तमिलनाडू, सुप्रिया अंबर जबलपुर, जगदीश वेगड़ इंदौर ने कटनी स्टोन पर अपनी शिल्प का प्रदर्शन किया था।
Hindi News / Photo Gallery / Katni / गजब के पत्थर, जहां लगे वहां चार चांद लगा दे