घाटों की सीढिय़ां खतरनाक
तालाबों के किनारे बने घाट और सीढिय़ों वर्षों से जर्जर अवस्था में हैं। श्रद्धालुओं के लिए ये सीढिय़ां खतरनाक साबित हो रही हैं। कई बार लोग इन सीढिय़ों से फिसलकर चोटिल भी हो चुके हैं। नगर निगम प्रशासन की ओर से मरम्मत की कोई पहल नहीं की गई है।
तालाबों के किनारे बने घाट और सीढिय़ों वर्षों से जर्जर अवस्था में हैं। श्रद्धालुओं के लिए ये सीढिय़ां खतरनाक साबित हो रही हैं। कई बार लोग इन सीढिय़ों से फिसलकर चोटिल भी हो चुके हैं। नगर निगम प्रशासन की ओर से मरम्मत की कोई पहल नहीं की गई है।
असामाजिक तत्वों का होता है जमावड़ा
तालाब के आसपास लगे लाइट पोल को असामाजिक तत्वों ने क्षतिग्रस्त कर दिया है। रात में अंधेरे के कारण ये स्थान असुरक्षित हो गए हैं। यहां असामाजिक गतिविधियों का केंद्र बनने का खतरा भी बढ़ गया है। स्थानीय निवासियों ने कई बार इस बारे में पुलिस से शिकायत की, लेकिन अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है।
तालाब के आसपास लगे लाइट पोल को असामाजिक तत्वों ने क्षतिग्रस्त कर दिया है। रात में अंधेरे के कारण ये स्थान असुरक्षित हो गए हैं। यहां असामाजिक गतिविधियों का केंद्र बनने का खतरा भी बढ़ गया है। स्थानीय निवासियों ने कई बार इस बारे में पुलिस से शिकायत की, लेकिन अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है।
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सौंदर्यीकरण पर उदासीनता
शहर का यह तालाब धार्मिक महत्व के साथ-साथ पर्यटन और पर्यावरण संरक्षण की दृष्टि से भी महत्वपूर्ण हैं। तालाबों के किनारे हरियाली और सुंदरता बढ़ाने के लिए कोई कदम नहीं उठाया गया है। नगर निगम और संबंधित विभागों की उदासीनता के चलते ये स्थान खंडहर में तब्दील होते जा रहे हैं।
सौंदर्यीकरण पर उदासीनता
शहर का यह तालाब धार्मिक महत्व के साथ-साथ पर्यटन और पर्यावरण संरक्षण की दृष्टि से भी महत्वपूर्ण हैं। तालाबों के किनारे हरियाली और सुंदरता बढ़ाने के लिए कोई कदम नहीं उठाया गया है। नगर निगम और संबंधित विभागों की उदासीनता के चलते ये स्थान खंडहर में तब्दील होते जा रहे हैं।
स्थानीय नागरिकों में है नाराजगी
स्थानीय निवासियों का कहना है कि जिम्मेदार जनप्रतिनिधियों विधायक, महापौर, पार्षद, नगर निगम प्रशासन द्वारा तालाब व धार्मिक स्थल को नजरअंदाज कर दिया है। न तो नियमित सफाई की व्यवस्था है और ना ही रखरखाव के लिए कोई ठोस योजना बनाई गई है। श्रद्धालुओं की संख्या में कमी आ रही है।
स्थानीय निवासियों का कहना है कि जिम्मेदार जनप्रतिनिधियों विधायक, महापौर, पार्षद, नगर निगम प्रशासन द्वारा तालाब व धार्मिक स्थल को नजरअंदाज कर दिया है। न तो नियमित सफाई की व्यवस्था है और ना ही रखरखाव के लिए कोई ठोस योजना बनाई गई है। श्रद्धालुओं की संख्या में कमी आ रही है।
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लोगों ने रखी मांग
लोगों ने नगर निगम द्वारा तालाब की नियमित सफाई के लिए एक विशेष टीम नियुक्त करनी चाहिए। सीढिय़ों की मरम्मत और सुरक्षा के लिए रेलिंग लगाई जानी चाहिए, क्षतिग्रस्त लाइटों की मरम्मत कर रोशनी की व्यवस्था सुनिश्चित करनी चाहिए। पुलिस को इन स्थानों की सुरक्षा बढ़ानी चाहिए और असामाजिक तत्वों पर सख्त कार्रवाई करनी चाहिए। तालाबों के किनारे पौधारोपण, बेंच और वॉकिंग ट्रैक बनाने की योजना तैयार की जानी चाहिए। धार्मिक और सांस्कृतिक स्थलों की महत्ता को समझते हुए इनकी पुनस्र्थापना की जाए। यह न केवल धार्मिक आस्था का सम्मान होगा बल्कि पर्यटन को बढ़ावा देने और पर्यावरण संरक्षण में भी मदद करेगा।
वर्जन
तालाब के सफाई के लिए आवश्यक पहल की जाएगी। शहर के सभी जलस्रोत साफ-सुथरे रहें यह व्यवस्था की जाएगी। तालाब के सौंदर्यीकरण के लिए भी योजना तैयार कराई जाएगी।
नीलेश दुबे, आयुक्त नगर निगम।
तालाब के सफाई के लिए आवश्यक पहल की जाएगी। शहर के सभी जलस्रोत साफ-सुथरे रहें यह व्यवस्था की जाएगी। तालाब के सौंदर्यीकरण के लिए भी योजना तैयार कराई जाएगी।
नीलेश दुबे, आयुक्त नगर निगम।