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एक दिन खादी के नाम: खादी को लेकर इस शहर अजब रंग, हर कोई है पहनने आतुर

everyone is eager to wear it khadi

कटनीAug 14, 2024 / 09:32 pm

balmeek pandey

everyone is eager to wear it khadi

कटनी. खादी सिर्फ एक वस्त्र नहीं है, बल्कि यह भारत के स्वतंत्रता संग्राम की जीवंत याद है। महात्मा गांधी द्वारा प्रचलित खादी, भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के दौरान आत्मनिर्भरता और स्वदेशी आंदोलन का प्रतीक बनी। खादी का महत्व इससे कहीं अधिक है कि यह सिर्फ एक कपड़ा है; यह भारतीय संस्कृति, स्वाभिमान, और आत्मनिर्भरता का प्रतीक है। खादी का वतन से गहरा नाता है, क्योंकि यह हमारे स्वतंत्रता संग्राम की मूलभूत धरोहरों में से एक है।
इस कपड़े ने न केवल भारत के लोगों को एकजुट किया, बल्कि स्वदेशी वस्त्रों का उपयोग करने की भावना भी जगाई। खादी ने भारतीयों को विदेशी वस्त्रों का बहिष्कार करने और अपने देश में निर्मित वस्त्रों का समर्थन करने के लिए प्रेरित किया। इसी को लेकर पत्रिका द्वारा एक दिन खादी के नाम अभियान चलाया जा रहा है। आजादी के जश्न में सभी से खादी के कपड़े पहनने का आवाहन किया गया है। इस आवाहन में जनप्रतिनिधि, अधिकारी-कर्मचारी, समाजसेवी, शहरवासियों ने समर्थन किया है। खुद भी खादी पहनेंगे के लिए आगे आए हैं और लोगों से भी आवाहन कर रहे हैं।
खादी की यह है खासियत
गांधीवादी विचारक विवेक दुबे व संदीप गिरी गोस्वामी ने कहा कि खादी की खासियत यह है कि यह एक हस्तनिर्मित वस्त्र है, जो पूरी तरह से प्राकृतिक रेशों से बनाया जाता है। यह कपड़ा ठंडे मौसम में गर्म और गर्म मौसम में ठंडा रहता है, जिससे यह हर मौसम के लिए उपयुक्त बन जाता है। इसके अलावा, खादी का उपयोग पर्यावरण के अनुकूल भी है, क्योंकि यह प्राकृतिक रूप से संसाधित होता है और इसके निर्माण में किसी भी प्रकार के रासायनिक पदार्थों का उपयोग नहीं किया जाता।
स्वतंत्रता संग्राम से जुड़ी यादें
सेना से रिटायर्ड परमानंद चतुर्वेदी ने कहा कि खादी का सबसे बड़ा महत्व यह है कि यह भारत के स्वतंत्रता संग्राम की यादों से जुड़ा हुआ है। महात्मा गांधी ने स्वदेशी आंदोलन के तहत खादी को अपनाया और इसे भारतीयों के लिए आत्मनिर्भरता का प्रतीक बनाया। खादी पहनकर लोगों ने अंग्रेजों के द्वारा निर्मित वस्त्रों का बहिष्कार किया और आत्मनिर्भरता का संदेश दिया।

खादी के प्रति समर्थन
जिले में ‘पत्रिका’ समाचार पत्र द्वारा ‘एक दिन खादी के नाम’ अभियान चलाया जा रहा है, जिसे जिले के अधिकारियों, कर्मचारियों और समाजसेवी संगठनों का व्यापक समर्थन मिल रहा है। स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर, लोग खादी पहनकर देशभक्ति और राष्ट्रीय गर्व को प्रदर्शित करने की योजना बना रहे हैं। इस अभियान को लेकर लोगों में खासा उत्साह देखा जा रहा है, और कई लोगों ने खादी पहनने की योजना बनाई है। ‘एक दिन खादी के नाम’ अभियान में शामिल होकर लोग अपने देश के प्रति अपने प्यार और सम्मान को व्यक्त कर रहे हैं।
खादी के प्रति बढ़ता समर्थन: स्वतंत्रता दिवस पर लोग पहनेंगे खादी
निगम अध्यक्ष ने बताई खादी की खासियत

नगर निगम अध्यक्ष मनीष पाठक ने खादी की विशेषता पर जोर देते हुए कहा कि यह वस्त्र न केवल पर्यावरण के अनुकूल है, बल्कि भारतीय संस्कृति का एक अभिन्न हिस्सा भी है। उन्होंने बताया कि वे स्वतंत्रता दिवस के मौके पर खादी पहनेंगे और लोगों को भी इसके प्रति जागरूक करेंगे। यह वस्त्र आत्मनिर्भरता का प्रतीक है और इसे पहनना हमें हमारे देश की विरासत से जोड़ता है। उन्होंने भी खादी पहनने का संकल्प लिया।
खादी पर रखा विचार
हमेशा खादी पहनने वाले समाजसेवी अजय सरावगी ने खादी के महत्व पर अपनी बात रखते हुए कहा कि एक वस्त्र नहीं एक विचारधारा है खादी। महात्मा गांधी ने हिंदुस्तान के अंत्योदय अंतिम व्यक्ति से मेहनत के साथ बनाया हुआ यह धागा है। माता-बहनों ने चरखे में सूत कातकर खादी प्रदान की है। यह भोगविलातिा नहीं बल्कि सभ्यता है, शांति का प्रतीक है, स्वामिता है। खादी कभी कटनी की शान थी, आज वह दुर्दशा का शिकार है। जिस खादी को महात्मा गांधी ने पहनकर आजादी दिलाई वह दुर्दशा की शिकाय है, वास्तव में यह चिंतनीय है।
खादी पहनना गर्व की बात
डिप्टी कमिश्नर पवन अहिरवार ने पत्रिका के अभियान की सराहना करते हुए कहा कि खादी हमारे देश की पहचान है और इसे पहनना गर्व की बात है। उन्होंने भी इस स्वतंत्रता दिवस पर खादी पहनने का निर्णय लिया है।
खादी के प्रति है लगाव
जिला प्रबंधक लोकसेवा केंद्र दिनेश विश्वकर्मा ने खादी के अभियान को सराहते हुए कहा कि यह हमारे देश की धरोहर है और इसे आगे बढ़ाना हमारी जिम्मेदारी है। उन्होंने भी खादी पहनने का संकल्प लिया है।
खादी की है खासियत
सहायक संचालक शिक्षा राजेश अग्रहरि ने कहा कि खादी देश के लिए बहुत खास है और इसे पहनना हमें हमारे स्वतंत्रता संग्राम की याद दिलाता है। वे भी इस अभियान का हिस्सा बनेंगे और खादी पहनेंगे।
खादी के प्रति है जुड़ाव
ट्रैफिक टीआई राहुल पांडेय ने भी खादी पहनने का समर्थन किया और कहा कि खादी से उनका गहरा लगाव है। उन्होंने इस अभियान में शामिल होने और खादी पहनने का संकल्प लिया है।
खादी और देश का लगाव
नगर निगम के कार्यपालन यंत्री सुधीर मिश्रा ने बताया कि खादी का देश से गहरा लगाव है। उन्होंने भी इस अभियान को समर्थन देते हुए खादी पहनने का निर्णय लिया है। कहा कि हर नागरिक को इसे अपनाना चाहिए।
खादी का है खास महत्व
कार्यपालन यंत्री राहुल जाखड़ ने खादी के महत्व पर जोर दिया और कहा कि इसे पहनना हमारे देश के प्रति सम्मान का प्रतीक है। वे भी इस स्वतंत्रता दिवस पर खादी पहनेंगे। वे अपने साथियों व स्टॉफ को भी प्रेरित करेंगे।
खादी देश की शान
पार्षद श्याम पंजवानी ने कहा कि खादी देश की शान है और इसे पहनना गर्व की बात है। उन्होंने भी खादी पहनने का निर्णय लिया है। परिजनों व दोस्तों को भी प्रेरित करेंगे। देश की विरासत ने जोडऩे पत्रिका की शानदार पहल है।
खादी है हमारी विरासत
सहायक यंत्री नगर निगम अनिल जायसवाल ने खादी को देश की विरासत बताते हुए कहा कि इसे पहनना हमें हमारे देश के इतिहास से जोड़ता है। वे भी खादी पहनने का संकल्प ले चुके हैं। पत्रिका के पहल को भी सराहा।
खादी देश की शान
उपयंत्री पवन श्रीवास्तव ने खादी को देश की शान बताते हुए कहा कि वे भी इस स्वतंत्रता दिवस पर खादी पहनेंगे। यह हमारे देश आजादी की यादों में से एक है। इसे नियमित रूप से पहनावे में शामिल करेंगे।
बापू की हैं यादें
शहरवासी रमेश सोनी ने खादी को महात्मा गांधी की यादों से जोड़ा और कहा कि खादी बापू की विचारधारा का प्रतीक है। उन्होंने भी खादी पहनने का निर्णय लिया है। अधिकारी, समाजसेवी और शहरवासी खादी को अपनाने और स्वतंत्रता दिवस पर इसे पहनने का संकल्प लें।
स्वतंत्रता संग्राम का है प्रतीक
इंजीनियर आदेश जैन ने कहा कि खादी सिर्फ एक वस्त्र नहीं है, बल्कि यह भारत के स्वतंत्रता संग्राम की जीवंत याद है। महात्मा गांधी द्वारा प्रचलित खादी, भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के दौरान आत्मनिर्भरता और स्वदेशी आंदोलन का प्रतीक बनी।
खादी से गहरा नाता
दिनेश विश्वकर्मा जिला प्रबंधक लोक सेवा केंद्र ने कहा कि खादी का भारत से गहरा नाता है, क्योंकि यह हमारे स्वतंत्रता संग्राम की मूलभूत धरोहरों में से एक है। भारत के लोगों को एकजुट किया, स्वदेशी वस्त्रों का उपयोग करने की भावना भी जगाई।
खासियत से भरी खादी
कमलकांत परस्ते माइनिंग इंस्पेक्टर का कहना है कि खादी एक हस्तनिर्मित वस्त्र है, जो पूरी तरह से प्राकृतिक रेशों से बनाया जाता है। इसके निर्माण में किसी भी प्रकार के रासायनिक पदार्थों का उपयोग नहीं किया जाता। हम जरूर पहनेंगे।
खादी का षडयंत्र पूर्वक घोंटा दम
शहर में खादी ग्राम उद्योग का षडयंत्र के तहत दम घोट दिया गया है। अजय सरावगी ने बताया कि 45 वर्ष पूर्व मप्र खादी ग्राम उद्योग की मुख्य मार्ग में कांच मंदिर के सामने किराये के भवन में दुकान थी। इसे फिर वेंकटेश मंदिर के पास शिफ्ट किया गया। वहां से भी एक गली में पहुंचा दी गई और फिर दुकान बंद हो गई। खादी भंडार के लोग व भवन स्वामियों ने षडयंत्र पूर्वक खादी का गला घोंट दिया है। अब खादी प्रेमी दूसरे शहरों व महनगरों पर आश्रित हैं।

One day in the name of Khadi
खादी वाले कुर्ते पे इत्र और फुलेल है…
कवि-मनोहर मनोज

श्रम के शरीर पे पसीना गंध मारता है
खादी वाले कुर्ते पे इत्र और फुलेल है
राजनीति लाई हमें आज किस ओर जहां
वानरों के हाथ में तो देखिये गुलेल है
घोटाले पे घोटाले भी खुलेआम हो रहे हैं
बेईमानी, भ्रष्टाचार, क्या मजे का खेल है
जेल बीच कुर्सी, या कुर्सी के, बीच जेल
जेल ही से कुर्सी या कुर्सी से जेल है
उनके पास खादी है, हमारे पास बर्बादी है
देश भक्ति जन सेवा के पास खाकी है
याने कि दोनों का पहला अक्षर है, खा
तो फिर खूब खा जितना घर में ला सकता है ला
हम जनता हैं हमारे पास भी खा है
लेकिन खुद्दारी का ख, खामोशी का खालीपन का
खूब भार है जीवन का हर आदमी है त्रस्त

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