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कटनी

नेता-अफसर बताएं: रसातल में चली गई या फिर आसमान ने निगला ‘नगर निगम योजनाओं की जमीन’

Irregularities in nagr nigam katni yojna land

कटनीSep 19, 2024 / 09:14 pm

balmeek pandey

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नगर सुधार न्यास में बनाई गईं थी 25 योजनाएं, अब ननि के अधिपत्य में, अधिकांश में हैं विसंगति, अपने स्वामित्व का नामांतरण नहीं करा पाया नगर निगम
सरकारी जमीन की हो गई खरीद-फरोख्त, नगर निगम के अधिकारियों की सांठगांठ से बड़ा खेल
मुख्यमंत्री को भेजी गई शिकायत, अफसरों की कार्रवाई से बौखला रहे सफेदपोश

कटनी. नगर सुधार न्यास (वर्तमान नगर पालिक निगम) द्वारा पूर्व में आम जनता को रियायती दरों पर आवासीय भू-खंड उपलब्ध करवाने के उद्देश्य से योजना क्रमांक 1 से लेकर 25 तक बनाई गईं। इन योजनाओं का बुरा हाल है। अधिकांश योजनाओं में नगर निगम के अफसरों व भू-माफियाओं की सांठगांठ से पूर्व से लेकर अबतक बड़ा खेल होता चला आ रहा है। योजनाओं की भूमियों को जमकर खुर्द बुर्द किया जा रहा है। हाल ही में योजना क्रमांक-14 की जमीन पर अवैध तरीके से भवन तन रहा है, जिसका पत्रिका द्वारा खुलासा किया गया। अब नगर निगम आयुक्त द्वारा जांच कराई जा रही है। बता दें कि इस तरह से 25 योजनाओं में बड़ा खेल हुआ है।
बता दें कि मध्यप्रदेश शासन के पत्र दिनांक 1 अगस्त 1994 के द्वारा नगर सुधार न्यास कटनी का विलय नगर पालिक कटनी में हो गयाहै, विलय के बाद सभी आस्तियों एवं दायित्व ननि का हो गया है। ग्राम मुड़वारा, बरगवां, टिकरिया, झिंझरी, अमकुही आदि में बनी योजनाओं में निजी व्यक्तियों की भूमि को चिन्हित कर धारा 71 के अंतर्गत अनिवार्य भू-अर्जन किया गया। कई भूमि-स्वामियों को मुआवजे का भुगतान भी 1985 से 95 में किया गया। जिनका सिर्फ आंशिक भुगतान बचा था, उनमें अधिकारियों, कर्मचारियों एवं रसूखदारों की मिलीभगत से बड़ा खेल हुआ है। अब इस मामले की गंभीर शिकायत भी मुख्यमंत्री से हुई है। वहीं अब अफसरों द्वारा कार्रवाई की जा रही है तो कुछ सफेदपोश बौखला रहे हैं और निगम के कर्मचारियों पर कार्रवाई का भय दिखाकर कोई भी मामला बाहर न जाने की बात कह रहे हैं।
यह है योजनाओं का हाल
योजना क्रमांक-1 बरही रोड में धारा 46 का प्रकाश हुआ, न्यास परिषद प्रस्ताव क्रमांक 199 5 मई 1988 अनुसार योजना छोड़ी गई। यहां पर मुआवजे का ही भुगतान नहीं हुआ। योजना क्रमांक-2 जबलपुर रोड शासकीय व निजी भूमि पर बनाई गई थी। भूमि का अधिपत्य प्राप्त करते हुए मुआवजे का भुगतान किया गया था। 140 भूखंडों का आवंटन किया गया, धारा 68 का प्रकाशन 1989 में हुआ, भूमि नगर निगम के नाम करने तहसीलदार के यहां आवेदन हुआ, लेकिन निरस्त कर दिया गया। स्थानीय न्यायालयों से निर्णय निगम के विरुद्ध पारित होने के बाद मामला उच्च न्यायालय में याचिका क्रमांक 684/21 चला। 140 लोग अपने जमीन पाने के लिए वर्षों से भटक रहे हैं। योजना क्रमांक-3 में 50 प्रतिशत विकास कार्य होने हैं। मामला एसडीएम कोर्ट में विचाराधीन है। भूमि स्वामियों को 33 लाख रुपए मुआवजा दिए जाने 2004-5 में प्रकरण चला, 33 लाख रुपए देने आदेश भी हुआ। यहां पर राजस्व अभिलेखों में भूमि ननि में दर्ज नहीं है।
इन योजनाओं में भी रोना
योजना क्रमांक-4 में धारा 46 का प्रकाशन हुआ, मौके पर कोई कार्य नहीं होने के कारण योजना नियमानुसार व्यपगत किया जाना है। योजना क्रमांक 5 में भी धारा 46 का प्रकाशन हुआ। धारा-48 में भूमि स्वामी की आपत्तियां ली गईं। आपत्तियों का निराकरण न्यास परिषद में होना था, 1 अगस्त 1994 को न्यास का विलय होने के कारण भूमि का अधिग्रहण नहीं किया गया ना ही विकास हुआ। यह योजना भी व्यपगत किया जाना है। योजना क्रमांक-6 में हुडको से प्राप्त ऋण पर 210 भवनों का निर्माण कराया गया। योजना क्रमांक-7 में धारा 46 का प्रकाश हुआ, लेकिन विकास कार्य नहीं हुए। भूमि का भी अधिग्रहण नहीं हुआ, इसे भी व्यपगत किया जाना है।
इन योजनाओं का भी यही हाल
इसी प्रकार योजना क्रमांक-8 में धारा-46 का प्रकाशन तो हुआ, लेकिन अधिग्रहण नहीं किया गया। योजना 25 अगस्त 1989 को निरस्त कर दी गई। इसका भी व्यपगत किया जाना है। योजना-9 में धारा-46 का प्रकाशन कराया गया, अधिग्रहण और विकास कार्य करने की कार्रवाई नहीं की गई। इसे भी 17 फरवरी 2020 के पत्र अनुसार व्यपगत किया जाना है। योजना-10 में धारा 46 का प्रकाशन हुआ। इसमें न तो भूमि अधिग्रहित की गई और ना ही विकास कार्य कराए गए। इसे भी व्यपिगत में शामिल कर लिया गया। योजना की निगम के नाम नहीं है। योजना-11 में अनिवार्य भूमि अर्जन तो हुआ, लेकिन न मुआवजा दिया गया और ना ही विकास कार्य कराए गए। नाम भी दर्ज नहीं है।
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योजना 12 से 16 का भी यही हस्र
योजना-12 में धारा 46 का प्रकाशन हुआ, लेकिन भूमि का अधिग्रहण नहीं किया गया, ना ही विकास कार्य कराए गए। अभिलेखों में भी भूमि दर्ज नहीं हो पाई ओर इसे भी व्यपिगत में शामिल कर लिया गया। योजना क्रमांक-13 में अनिवार्य भू-अर्जन कराया गया, लेकिन नाम दर्ज नहीं हो पाया। अब मामला न्यायालय में लंबित है। योजना क्रमांक-14 को पूर्ण बताया गया है, जहां पर विकास कार्य कराए जाने का भी उल्लेख है, लेकिन यहां की जमीन की खरीद-फरोख्त हो रही है। योजना-15 में अनिवार्य अर्जन के साथ भूमि स्वामियों को आंशिक मुआवजा दिया गया। भूमि निगम के नाम दर्ज नहीं है। राजस्व कार्यालय, एसडीएम कार्यालय से खारिज किए गए नामांतरण आदेश के विरुद्ध ननि ने अपील दायर की है। इसी प्रकार योजना क्रमांक-16 में धारा-46 का प्रकाशन तो हुआ, लेकिन विधिवत अर्जन न होने के कारण कोई कार्य नहीं हुए।
इनका भी यही हाल
योजना क्रमांक-17 शासकीय व निजी भूमि पर बनाई गई। शासकीय भूमि- 2.12 हे. शेष निजी भूमि 3.523 पर बनाई गई। शासकीय भूमि पर विकास कर भूखंडों का आवंटन किया गया। निजी भूमि पर विकास करना उचित नहीं बताया गया। हाइकोर्ट में दायर याचिका 13369/09 निर्णय दिनांक 11 दिसंबर 2015 में अधिग्रहण की कार्रवाई को लैप्स माना गया है। शासन को प्रस्ताव भेजा गया है। योजना क्रमांक 18 में पूरे में वृक्षारोपण किया जाना बताया गया है। योजना क्रमांक 19 में दुकान व कार्यालय का निर्माण करना बताया गया है। योजना क्रमांक 20 में ट्रांसपोर्ट नगर है, जो अबतक शिफ्ट नहीं हो पाया।
इन पांच योजनाओं का भी यही रवैया
योजना क्रमांक-21 में धारा 46 का प्रकाशन हुआ, लेकिन भूमि अधिग्रहण नहीं हुआ ना ही विकास कार्य। मुआवजा भी नहीं दिया गया। इसे भी 2020 का आदेश बताकर व्यपिगत करने की कार्रवाई की गई। योजना-22 में धारा 46 का प्रकाशन हुआ। यहां भी न तो विकास कार्य हुए और ना ही मुआवजा दिया गया और व्यपगत करने की कार्रवाई कर दी गई। योजना-23, 24 व 25 में भी योजना 22 की तरह कमोवेश स्थिति है।
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सीएम के पास शिकायत
योजनाओं की जमीनों पर जमकर हुई गड़बड़ी, खरीद-फरोख्त के मामले को लेकर पूर्व निगम अध्यक्ष व वर्तमान पार्षद संतोष शुक्ला ने सीएम से शिकायत करते हुए मामले की गंभीरता से जांच कराने मांग की है। मांग रखी है कि कलेक्टर की निगरानी में उच्च स्तरीय जांच दल गठित कर आधुनिक पद्धति रोवर मशीन से सीमांकन कराया जाए। जमीनों को सुरक्षित कराया जाए। योजनाओं में आवंटिति प्लॉट धारकों को उनके प्लॉटों का भौतिक कब्जा दिलाया जाए। योजनाओं की भूमियों को खुर्द-बुर्द करने एवं कराए जाने में दोषियों के खिलाफ वैधानिक कार्रवाई कराई जाए।
योजना को लेकर खास-खास

  • योजना क्रमांक3 एवं 17 40 साल से लटकी है, बरगवां खसरा नंबर 209/4 रकबा 0.312 हे, 209/5 रकवा 0.263 हे एवं खसरा 210/1 रकवा 2.359 हे में भूमि में आवासीय एवं व्यवसायिक, व योजना-3 आजतक नहीं ले पाई मूर्त रूप।
  • खसरा नंबर 209/5 रकवा 0.081 हे में भी हुआ है बड़ा खेल, योजना 11 कटनी साउथ स्टेशन के पास 5.036 हेक्टेयर भूमि का किया गया था अधिग्रहण, 12 में मेहंदी बंगला के पास 13.475 हे, योजना 13 6.885 हे भूमि का हुआ था अधिग्रहण, यहां भी जमीन हो गई खुर्द-बुर्द।
  • अमकुही के खसरा नंबर 285/1, 286/1,2,3 में रकवा 7.039 हे, ग्राम झिंझरी के खसरा नंबर 823/1 रकवा 1.214 हे आदि को किया गया था अधिग्रहित, योजना 15 के तहत मुआवजे का भी हुआ था भुगतान, अफसरों की सांठगांठ से योजना हुई खुर्द-बुर्द।
वर्जन
नगर निगम योजनाओं की जमीन के मामले में जांच कराई जाएगी। हाल ही में कुछ मामले संज्ञान में आए हैं, जिनकी जांच प्रभारी आयुक्त व जिला पंचायत सीइओ द्वारा कराई जा रही है। इन पूरी 25 योजनाओं की वास्तविक स्थिति क्या है, इसकी जांच कराई जाएगी।
दिलीप कुमार यादव, कलेक्टर।

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