कक्ष में नहीं बरामदे में बैठाया-
जिला परियोजना समन्वयक ने बताया कि प्रथम दृष्टया प्रधानाध्यापक की लापरवाही का पता चला है। सभी छात्र पहले स्कूल भवन के मुख्य कक्ष में बैठते थे लेकिन सोमवार को छात्रों को बरामदे में बैठाया गया और बरामदे के ही छत का प्लास्टर गिर गया। प्रधानाध्यापक को लापरवाही के लिए नोटिस जारी गया है।
जिला परियोजना समन्वयक ने बताया कि प्रथम दृष्टया प्रधानाध्यापक की लापरवाही का पता चला है। सभी छात्र पहले स्कूल भवन के मुख्य कक्ष में बैठते थे लेकिन सोमवार को छात्रों को बरामदे में बैठाया गया और बरामदे के ही छत का प्लास्टर गिर गया। प्रधानाध्यापक को लापरवाही के लिए नोटिस जारी गया है।
१० वर्ष पूर्व चूना पुतवाकर कराया प्लास्टर
डीपीसी ने प्रभारी प्रधानाध्यापक शिवकुमार चंदेल और जन शिक्षक ब्रज किशोर गर्ग को नोटिस जारी किया है। नोटिस में बताया गया है कि १० वर्ष पूर्व छत की मरम्मत बिना तकनीकी मार्गदर्शन के कराई गई है। चूने की पुताई के ऊपर प्लास्टर कराया जाना पाया गया है, जिसके चलते प्लास्टर की पपड़ी बच्चों के ऊपर गिरने की घटना हुई। डीपीसी ने प्रधानाध्यापक से शासकीय अनुदान की ३२ हजार की राशि के व्यय संबंधी जानकारी मांगी गई है।
जिले में १०२ जर्जर स्कूलों पर खतरा बरकरार
शासकीय प्राथमिक शाला सेहरा टोला में हुई घटना के बाद अब जिले में संचालित जर्जर स्कूलों को लेकर भी सवाल खड़े हो रहे हैं। ७३ जर्जर भवनों को गिरा दिया गया है और १०२ को तोड़ने की कार्रवाई की जा रही है। अफसरों का दावा है कि इन स्कूलों का उपयोग अध्यापन कार्य के लिए नहीं किया जा रहा है, लेकिन जिस परिसर में यह स्कूल खड़े हैं वहां बच्चों की आवाजाही लगातार जारी है। ऐसी स्थिति में ये जर्जर स्कूल गिरने पर बड़ा हादसा हो सकता है।
डीपीसी ने प्रभारी प्रधानाध्यापक शिवकुमार चंदेल और जन शिक्षक ब्रज किशोर गर्ग को नोटिस जारी किया है। नोटिस में बताया गया है कि १० वर्ष पूर्व छत की मरम्मत बिना तकनीकी मार्गदर्शन के कराई गई है। चूने की पुताई के ऊपर प्लास्टर कराया जाना पाया गया है, जिसके चलते प्लास्टर की पपड़ी बच्चों के ऊपर गिरने की घटना हुई। डीपीसी ने प्रधानाध्यापक से शासकीय अनुदान की ३२ हजार की राशि के व्यय संबंधी जानकारी मांगी गई है।
जिले में १०२ जर्जर स्कूलों पर खतरा बरकरार
शासकीय प्राथमिक शाला सेहरा टोला में हुई घटना के बाद अब जिले में संचालित जर्जर स्कूलों को लेकर भी सवाल खड़े हो रहे हैं। ७३ जर्जर भवनों को गिरा दिया गया है और १०२ को तोड़ने की कार्रवाई की जा रही है। अफसरों का दावा है कि इन स्कूलों का उपयोग अध्यापन कार्य के लिए नहीं किया जा रहा है, लेकिन जिस परिसर में यह स्कूल खड़े हैं वहां बच्चों की आवाजाही लगातार जारी है। ऐसी स्थिति में ये जर्जर स्कूल गिरने पर बड़ा हादसा हो सकता है।