अगर किसी गांव के लोग यह चाहते है कि गांव में शराब की दुकान ना खुले तो गांव के दस प्रतिशत मतदाताओं को एक प्रस्ताव पारित करके आबकारी एवं कराधान विभाग को देना होगा। प्रस्ताव के आधार पर विभाग द्वारा नए सत्र के दौरान संबंधित गांव में शराब के ठेके अलाट नहीं किए जाएंगे।
बैठक के बाद पत्रकारों से बातचीत करते हुए मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने बताया कि प्रदेश के गांवों में शराब के ठेके को लेकर लंबे समय से विवाद चल रहा था। हालही में सरकार ने इस संबंध में ऐलान भी किया था। जिसके बाद आज यह फैसला लिया गया है। उन्होंने बताया कि हालांकि सरकार द्वारा पहले से ही यह नियम बनाया गया है कि ग्राम पंचायतों द्वारा प्रस्ताव पारित करने के बाद संबंधित गांव में शराब का ठेका नहीं खोला जाएगा लेकिन इस मामले में पारदर्शिता का अभाव था।
सीएम ने स्वीकार किया कि इन प्रस्तावों में कई तरह की खामियां रही हैं। जिसके चलते सरकार ने अब शराब के ठेकों के संबंध सारे अधिकार ग्रामीणों को दे दिए हैं। उन्होंने बताया कि हरियाणा में किसी भी गांव के अगर दस प्रतिशत मतदाता एक प्रस्ताव पारित करके सरकार को देंगे तो उस गांव में शराब के ठेके नहीं खुलेंगे। उन्होंने बताया कि इस संबंध में सभी विभागीय अधिकारियों को निर्देश जारी कर दिए गए हैं। उन्होंने बताया कि आज लिए गए फैसले को जल्द ही बिल का रूप देकर पास कर दिया जाएगा।
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यह है प्रस्ताव देने की अंतिम तारीख…
हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने बताया कि प्रदेश के किसी भी गांव के दस प्रतिशत लोग मंगलवार से यह प्रस्ताव पास करके विभागीय अधिकारियों को दे सकते हैं। उन्होंने बताया कि पहले शराब के ठेके खोलने के संबंध में कोई भी प्रस्ताव 30 सितंबर तक पास करके विभाग को देना होता था लेकिन इस बार इस नियम में संशोधन किया गया है। जिसके चलते सरकार ने अब यह प्रस्ताव जमा करवाने की तिथि बढ़ाकर 31 दिसंबर कर दी है। 31 दिसंबर के बाद आने वाले किसी भी प्रस्ताव पर कार्रवाई नहीं होगी।