करौली

गरीब पिता की ‘दृष्टिविहीन’ बेटियों ने घर में किया उजाला, 12वीं में लाई इतने अंक… भाई ‘आंख’ बन करता है मदद, मुंबई से मंगावाया वॉयस रिकॉर्डर

12वीं कला वर्ग के परिणाम में गरीब पिता की ‘दृष्टिविहीन’ बेटियों ने घर में उजाला कर दिया। फिलहाल छोटी नौकरी पाकर अपने पैरों पर खड़ा होकर यूपीएससी में अपना मुकाम हासिल करना चाहती हैं।

करौलीMay 26, 2024 / 11:57 am

Lokendra Sainger

मन में कुछ कर गुजरने का जज्बा और मजबूत इरादे के साथ कड़ी मेहनत की जाए तो सफलता मिल ही जाती है। कुछ ऐसा ही किया है करौली निवासी जन्म से दृष्टिविहिन दो सगी बहनों ने, जिन्होंने माध्यमिक शिक्षा बोर्ड की ओर से गत दिनों जारी 12वीं कला वर्ग के परीक्षा परिणाम में शानदार अंक प्राप्त किए हैं। शहर के वजीरपुर गेट के पास के निवासी व फ्रिज मरम्मत की दुकान करने वाले उमर फारुख के दो पुत्र और तीन पुत्रियां हैं। लेकिन पांच संतानों में से केवल एक पुत्र जाविद के अलावा चार जन्म से दृष्टि विहीन हैं।
पिता उमर बताते हैं कि तमाम कोशिशों के बावजूद बच्चों की आंखों की रोशनी नहीं लौटी। उमर ने बच्चों को बेहतरीन तालीम देने का प्रण लिया। हाल ही 20 मई को घोषित हुए 12वीं कला वर्ग के परिणाम में बड़ी पुत्री शबाना ने 69.40 प्रतिशत तो इससे छोटी बहन शाहिना ने 82.84 अंक प्राप्त कर मिसाल कायम की। दोनों बहनें फिलहाल छोटी नौकरी पाकर अपने पैरों पर खड़ा होकर यूपीएससी में अपना मुकाम हासिल करना चाहती हैं। बकौल शबाना और शाहिना इसके लिए वे ब्रेल लिपि सीखेंगी।
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भाई करता है मदद

दृष्टिविहीन 26 वर्षीय बड़ा बेटा शाहबुददीन पिता के काम में हाथ बंटाता है तो दूसरा बेटा जाविद बहनों की पढ़ाई व लाना-ले जाना, उनके कामों में मदद करता है। तीसरे नंबर की बेटी फातिमा 5वीं उत्तीर्ण है। इससे छोटी शबाना और शाहिना की प्राथमिक पढ़ाई उनके दादा अब्दुल हमीद हाजी ने कराई। दादा बोलकर पढ़ाते और दोनों बहनें उसे याद करतीं और परीक्षा में राइटर की मदद से लिखवाती। दोनों बहनों ने कक्षा 7वीं से यहां राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय में प्रवेश लिया।
घर के विपरीत आर्थिक हालातों के बीच पिता उमर ने मुंबई से ऑनलाइन वॉयस रिकॉर्डर मंगवाया, जिसकी मदद से सुनतीं और याद करतीं। दोनों बहनों के एक ही कक्षा और इतिहास, राजनीति विज्ञान तथा समाजशास्त्र विषय समान होने का काफी फायदा मिला। दोनों परस्पर सुनकर याद करतीं और परस्पर क्रॉस प्रश्न पूछकर एक-दूसरे की याददाश्त बढ़ातीं।
छोटी बहन शाहिना ने बताया कि शबाना के उससे कम नंबर आने पर वह बहुत रोई। परिजन और शिक्षकों ने काफी समझाया। वहीं शाहिना ने भी कहा कि बहन घबराना नहीं, मिलकर और मेहनत करेंगे। परीक्षा कक्ष में भी अतिरिक्त समय से पूर्व दोनों बहनें पेपर हल कर लेती थीं।
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