दरअसल वर्ष 1978 से क्षेत्र में संचालित डेयरी विकास की गतिविधियां वर्ष 2008 में संगठनात्मक ढांचे के तौर टोंक जिले से पृथक हुई थी। और सवाई माधोपुर-करौली जिला दुग्ध उत्पादक सहकारी संघ के गठन के साथ डांग और मांड क्षेत्र में डेयरी उद्योग की गतिविधियां शुरू हुई। करीब 5 वर्ष में डेयरी संघ ने गंगापुरसिटी में दुग्ध संकलन एवं चिलर प्लांट व हिण्डौन में डेयरी प्लांट स्थापित किया। लेकिन सुविधा और संसाधनों की कमी के चलते डेढ़ दशक बाद भी करौली, सवाईमाधोपुर व गंगापुरसिटी जिले में डेयरी उद्योग का अपेक्षित विकास नहीं हो सका।
स्थित यह है कि डेयरी संघ के प्रोसेसिंग प्लांटों में सरस के दुग्ध उत्पाद तैयार नहीं हो रहे हैं। गंगापुरसिटी प्लांट दुग्ध संग्रहण केंद्र व हिण्डौन प्लांट दूध व छाछ की प्रोसेसिंग और पैकिंग तक सिमटा है। ऐसे में डेयरी उद्योग को गति देने के लिए सवाई माधोपुर-करौली जिला दुग्ध उत्पादक सहकारी संघ ने डेयरी विकास और पुनरुद्धार के लिए 55 करोड 45 लाख रुपए की दो वर्षीय परियोजना के प्रस्ताव तैयार कर भेजे हैं।
पशुधन पालन का मिलेगा प्रशिक्षण
डेयरी विकास एवं पुनरुद्धार के तहत दुधारू पशुधन की समृद्धि के लिए पालकों को प्रशिक्षण दिया जाएगा। इसमें दुग्ध समिति स्तर पर सभी 298 दुग्ध समितियों के पशुपालकों का दूध का उत्पादन बढ़ाने व पशुओं के पालन का प्रशिक्षण दिया जाएगा। इसके लिए 2 करोड़ 98 लाख रुपए का खर्च प्रस्तावित है। गौरतलब है कि करौली जिले में 73 हजार 155 गाय, 5 लाख 18 हजार 622 भैंस तथा सवाई माधोपुर जिले में 77 हजार 627 गाय व 3 लाख एक हजार 792 भैंस हैं।विवरण लागत रुपयों में
दुग्ध समितियों को दूध जांच उपकरण 8.94 करोड़दुग्ध समितियों को फर्नीचर 1 करोड़ 78 लाख 80 हजार समितियों का सुद्रढ़ीकरण 1 करोड़ 49 लाख समितियों पर 150 बीएमसी 12 करोड़ 75 लाख
प्रशिक्षण कार्यक्रम 2 करोड़ 98 लाख हिण्डौन डेयरी प्लांट सुद्रढीकरण 10 करोड़ हिण्डौन प्रशीतलन केंद्र 7 करोड़ 50 लाख सवाई माधोपुर डेयरी प्लांट सुद्रढ़ीकरण 10 करोड़
27.50 करोड़ की राशि होगी खर्च
विकास और पुरुद्धार परियोजना में 27 करोड़ 50 लाख रुपए दुग्ध प्रसंस्करण संयंत्रों के सुद्रढ़ीकरण के लिए प्रस्तावित किए गए हैं। इसके तहत सवाईमाधोपुर व हिण्डौन डेयरी प्लांट पर 10-10 करोड़ रुपए खर्च होंगे। वहीं 7 करोड़ 50 लाख से नवीन दुग्ध प्रशीतलन केंद्र स्थापित होगा। यह भी पढ़ें :