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UP Board Result: मजदूर के बेटे ने प्रदेश में हासिल किया 7वां स्थान, गांव में पानी की समस्या करना चाहता है दूर

locationकानपुरPublished: May 01, 2018 10:00:28 pm

Submitted by:

Abhishek Gupta

आनंद कुमार ने हाईस्कूल बोर्ड परीक्षा का परिणाम आते ही 561 अंक अर्जित कर 93.5 प्रतिशत के साथ प्रदेश की टॉप टेन में 7वां स्थान हासिल कर लिया है।

Labor Son

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कानपुर देहात. अगर मन में जज्बा हो कुछ कर गुजरने का तो कोई मंजिल दूर नहीं होती है। ऐसा ही कुछ कर दिखाया है फैक्ट्री में मजदूरी करने वाले एक गरीब पिता के होनहार बेटे ने। जिसके मन में खुद के लिए नहीं बल्कि अपने गांव के लोगों के विकास व भलाई का ख्वाब पनप रहा है। कछियन पुरवा के आनंद कुमार ने हाईस्कूल बोर्ड परीक्षा का परिणाम आते ही 561 अंक अर्जित कर 93.5 प्रतिशत के साथ प्रदेश की टॉप टेन सूची में सातवां स्थान हासिल कर लिया है। उसके भीतर गांव के लिए कुछ कर गुजरने का सपना अभी भी अडिग है। वह कहते हैं कि यह तभी संभव है, जब वह मेहनत कर आईएएस बनकर गांवों के संपूर्ण विकास के लिए कुछ कर पाएंगे और अपना जीवन समर्पित करेंगे।
पिता करते हैं फैक्ट्री में मजदूरी-

यूपी टॉप टेन सूची में सातवां स्थान पाने वाले होनहार आनंद के नाम में भले ही खुशी झलकती हो, लेकिन बचपन से लेकर अभी तक जीवन दुखों और संघर्षों के बीच ही गुजरा है। डेरापुर क्षेत्र के कछियन पुरवा में रहने वाले पिता अमर सिंह कुशवाहा के पास भूमि नही हैं। जनपद के नबीपुर में स्थित एक फैक्ट्री में मजदूरी करके अमर सिंह अपने परिवार में पत्‍‌नी शांति, पुत्री रीता व पुत्रों नितिन व आनंद का किसी तरह भरण पोषण करते रहे। लेकिन वर्ष 2015 में पुत्री की शादी के बाद आर्थिक रूप से कमजोर अमर सिंह के कंधे झुक गए तो उन्होंने मायूस होकर पुत्रों की पढ़ाई को लेकर असमर्थता जाहिर की। घर की स्थितियां बिगड़ती देख और छोटे भाई की पढ़ाई लगन देख बड़ा बेटा नितिन नौकरी करने के लिए गुजरात चला गया।
हालात बिगड़ते देख मामा ने दिया सहारा-

आगे चलकर पारिवारिक खर्चे के चलते आनंद की पढ़ाई में आर्थिक तंगी आड़े आई तो यमुना बीहड़ पट्टी के गांव कमलपुर में रहने वाले मामा अरविंद ने सहारा दिया। लेकिन हालात न सुधरते देख सातवीं कक्षा की पढ़ाई पूरी करने के बाद मामा अरविंद आनंद को पढ़ाने के लिए साथ घर ले गए। देखा जाए तो यमुना बीहड़ के गांव में पेयजल संकट बना रहता है। वहां हैंडपंपों की संख्या कम होने से कुएं ही पानी का सहारा हैं। जिससे लोग पेयजल का उपयोग करते हैं। आनंद बताते हैं कि सुबह ऊठकर वह रस्सी लेकर कुएं पर पहुंच जाते थे और अपने व घर के प्रयोग के लिए पानी भरकर दिन की शुरुआत करते थे। आनंद ने फफकते हुए कहा कि शुरुआती समय में रस्सी से बाल्टी खींचने में हाथों में छाले तक पड़ जाते थे।
आईएएस बनकर करेंगे ये नेक काम

गांव के जिन घरों के बाहर हैंडपंप लगे थे, वह उन पर एकाधिकार मान किसी को पानी नहीं भरने देते हैं। दबंगई की यह व्यवस्था को वह समाप्त कराना चाहते हैं। आनंद का कहना है कि पानी पर सभी का अधिकार बराबर होना चाहिए। बताया कि गांवों के हालात बेहद खराब हैं। न सड़क, न नाली और न ही पानी की व्यवस्था है। उनका एक ही सपना है कि आईएएस बनकर गांवों की बदहाली दूर करने के लिए जीवन समर्पित कर दें। आज उन्होंने जो सफलता की सीढ़ी पर कदम रखे है उसका श्रेय वह माता, पिता, भाई और मामा को देते हैं। आदर्श शिक्षक की चर्चा पर वह कहते हैं कि पढ़ाने वाले सभी शिक्षक सम्मानित हैं, लेकिन गणित के पाल सर और भौतिक विज्ञान के अरुण सर से विशेष लगाव है।

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