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कानपुर

रेप किया, चीरकर खाया कलेजा…अंधविश्वास ने पति-पत्नी को बनाया हैवान, जानें वीभत्स कांड की पूरी कहानी

सात साल की बच्ची का दो लोगों ने अपहरण कर गैंगरेप किया। इसके बाद उसका पेट फाड़कर कलेजा निकाल लिया। दंपती ने बच्ची के उस कलेजे को खाया था।

कानपुरDec 17, 2023 / 02:11 pm

Sanjana Singh

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तारीख 14 नवंबर 2020, दिवाली की रात। कानपुर के घाटमपुर गांव में एक सात साल की बच्ची की हत्या हुई। बच्ची की हत्या कर दरिंदों ने उसका कलेजा खा लिया। उस रात मासूम बच्ची की चीख दिवाली के पटाखों के आवाज की बीच ही गुम हो गई। इस मामले में तीन साल की सुनवाई के बाद चार दोषियों को सजा सुनाई गई है। आइए जानते हैं क्या है मामला, पुलिस को कैसे पता चला और आरोपियों को क्या सजा सुनाई गई।
क्या है मामला?
तीन साल पहले कानपुर देहात में एक ऐसी घटना घटी जिसनें लोगों की रूह कंपा दी। दरअसल, 14 नवंबर 2020 की शाम घर के बाहर खेल रही सात साल की बच्ची अचानक गायब हो गई। बच्ची के परिजनों ने रात भर बच्ची को खोजा, लेकिन वह नहीं मिली। दूसरी सुबह गांव के बाहर बच्ची की लाश क्षत- विक्षत हालत में मिली। इस मामले में बच्ची के पिता ने गांव के ही अंकुल, वंशलाल, कमलराम, बाबूराम और सुरेश जमादार के खिलाफ केस दर्ज कराया।
पुलिस की जांच में हुआ ये खुलासा
पुलिस ने इस मामले में जांच शुरू की। इसके बाद जांच में एक रूह कंपाने वाले भयावह हत्याकांड का खुलासा हुआ। दरअसल, सात साल की बच्ची का दो लोगों ने अपहरण कर गैंगरेप किया। इसके बाद उसका पेट फाड़कर कलेजा निकाल लिया। दंपती ने बच्ची के उस कलेजे को खाया था। यह सब एक तांत्रिक के कहने पर दोनों ने किया था। पुलिस की जांच में यह बात सामने आई कि शादी के 19 साल बाद भी निःसंतान होने की वजह से दंपती ने यह काम किया। सिर्फ इतना नहीं नहीं, तांत्रिक ने उसे बच्ची का कलेजा खाने के बाद संतान प्राप्ति की बात कही थी। जांच के क्रम में पुलिस ने गांव के ही परशुराम और सुनैना को धर दबोचा।
भतीजे से मंगाया था बच्ची का कलेजा
परशुराम और सुनैना ने बच्चे के लालच में तांत्रिक के कहने पर यह निर्णय लिया कि वह किसी बच्चे का कलेजा खाएंगे। इसके लिए परशुराम ने अपने भतीजे अंकुल और उसके साथी वीरन को एक मोटी रकम भी दी। अंकुल और वीरन ने गांव की ही बच्ची का अपहरण किया। इसके बाद वे उसे गांव के बाहर खेत में ले गए, जहां उसे मारने से पहले उसके साथ गैंगरेप किया। इसके बाद उसे मौत के घाट उतारा और पेट फाड़कर कलेजा निकाल लिया। इसी कलेजे को उन्होंने सुनैना और परशुराम को खाने के लिए दिया।

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10 गवाह और 21 साक्ष्य बने सजा का आधार
एक न्यूज वेबसाइट की रिपोर्ट के मुताबिक, विशेष लोक अभियोजक राम रक्षित शर्मा ने बताया कि मामले में सुनवाई के दौरान अदालत में 10 गवाहों को पेश किया गया। इन्होंने घटना से संबंधित 21 प्रलेखीय साक्ष्यों को अदालत में साबित किया, जो सजा का मुख्य आधार बने। इसके साथ ही मृतक मासूम की दोस्त साक्षी की गवाही बेहद अहम रही। बाल साक्षी ने अदालत में अपने बयानों में बताया था कि घटना वाले दिन वह अपनी सहेली के साथ खेल रही थी, उसी दौरान अंकुल बच्ची को अपने साथ ले गया था। वहीं मामले में एक अन्य गवाह ने भी अदालत में अपने दिए बयानों में मृतक मासूम को घटना वाली रात अंकुल और वीरेन के साथ देखने की बात कही थी।
आरोपियों को क्या मिली सजा?
तीन साल तक चली सुनवाई के बाद 16 दिसंबर को अपर जिला जज 13 पॉक्सो एक्ट की अदालत ने आरोपी दंपती परशुराम और सुनैना को आजीवन कारावास और 20-20 हजार अर्थदंड की सजा सुनाई है। वहीं दंपती के भतीजे अंकुल और उसके साथी वीरेन को पूरे जीवनकाल का कारावास और 45-45 हजार अर्थदंड का लगाया है। वहीं, पुलिस इस केस में मास्टरमाइंड तांत्रिक तक नहीं पहुंच पाई है।

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