सिंधु घाटी सभ्यता के दौरान होती थी पूजा मंदिर के पत्थरों पर कार्बन डेटिंग की गई है। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि यह हजारों साल पुराना मंदिर है। यह मंदिर तीन भागों में बना हुआ है। गर्भगृह का एक छोटा भाग है और फिर बड़ा भाग है। ये तीनों भाग अलग-अलग काल में बने हैं। यहां विष्णु के 24 अवतारों की, पद्मनाभ स्वामी की मूर्ति स्थापित हैं। मंदिर की देखरेख करने वाले केपी शुक्ला ने कहा कि मंदिर के इतिहास को लेकर कई मतभेद हैं। पुराने समय में अलग-अलग राजाओं ने मंदिर का जीर्णोद्धार करवाया है। मंदिर में पत्थर का पद्म चिह्न भी लगा हुआ है जिसे लेकर मान्यता है कि चिह्नों और प्रतीकों की पूजा सिंधु घाटी सभ्यता के दौरान की जाती थी। वहीं, मंदिर के शिखर पर सूर्य चक्र बना है। ऐसी मान्यता है कि इस सूर्य चक्र की वजह से इलाके में कभी बिजली नहीं गिरती।
मंदिर पर शोध मंदिर के केयरटेकर का कहना है कि कई वैज्ञानिक जगन्नाथ मंदिर पर शोध के लिए आगे आ चुके हैं लेकिन कुछ खास जानकारी नहीं जुटा पाए। फिलहाल कोरोना की वजह से मंदिर सुबह और शाम एक एक घंटे के लिए ही खुलता है।