यूपी एटीएस कि पूछताछ के दौरान कुर्बान अली ने बताया कि अवैध असलहा के निर्माण के लिए पार्ट्स कनाडा और सिंगापुर से मंगाए जाते हैं। जो एल्विन दिशा ले करके आता है। जिसे प्रति असलहा के लिए लगभग 80 हजार से एक लाख रुपए दिए जाते थे। इन विदेशी पार्ट्स को कानपुर लाए जाते थे। जिन्हें गन हाउस मालिकों के माध्यम से कारीगरों को सौंप दिया जाता था। कारीगरों को असलहों की कीमत के अनुसार भुगतान दिया जाता है जो लगभग ₹20000 के आसपास बनता है।
यह भी पढ़ें
बाइक की नंबर प्लेट पर यह लिखवाना पाल साहब को महंगा पड़ गया
कुर्बान अली असलहे की पॉलिश और नंबर गुरु आने का काम करता था। जिसके लिए उसे लगभग ₹15000 मिलते थे गन हाउस मालिकों द्वारा संचालित या पूरा व्यवसाय पिछले 10 वर्षों से फल फूल रहा था। यूपी एटीएस की मानें तो लगभग ₹60 करोड़ की कमाई काले व्यवसाय से हो चुकी है। कुर्बान अली से मिली जानकारी चौंकाने वाले हैं। नक्सलियों तक भी ये असलहें पहुंचते थे। जबकि एल्विन डीशा के माध्यम से काले कारोबार के तार विदेशों से भी जुड़ गए थे।