scriptअसलहों के पार्ट्स विदेश से, निर्माण कानपुर में, मोहर विदेशी, बिक्री गन हाउस के माध्यम से करोड़ों के व्यवसाय | Illegal weapons parts from abroad, Manufacture in Kanpur, Seal overseas, sold in gun house | Patrika News
कानपुर

असलहों के पार्ट्स विदेश से, निर्माण कानपुर में, मोहर विदेशी, बिक्री गन हाउस के माध्यम से करोड़ों के व्यवसाय

देसी असलहों के व्यापार से करोड़ों रुपए कमाने वाले गिरोह का खुलासा पुलिस ने किया है। पिछले 10 वर्षो से अवैध असलहों का काला कारोबार चल रहा था। एटीएस द्वारा गिरफ्तार अभियुक्त से मिली जानकारी के आधार पर पुलिस आगे कार्रवाई कर रही है। अवैध असलहों काले कारोबार में विदेश का भी कनेक्शन सामने आया है। देसी पिस्टल के बेचने में गन हाउस की महत्वपूर्ण भूमिका थी।

कानपुरMar 18, 2022 / 04:55 pm

Narendra Awasthi

Pattrika

असलहों के पार्ट्स विदेश से, निर्माण कानपुर में, मोहर विदेशी, बिक्री गन हाउस के माध्यम से करोड़ों के व्यवसाय

अवैध असलहों के पार्ट्स कनाडा और सिंगापुर से लाए जाते थे। जिन्हें कानपुर के कारीगरों के माध्यम से तैयार किया जाता था। देसी असलहों पर विदेशी मोहर लगाई जाती थी। गन हाउस के मालिकों के माध्यम से बेच दिया जाता था। जिससे मोटी रकम कमाई के रूप में आती थी। पूरा सिस्टम योजनाबद्ध तरीके से कार्य करता था। जिसका खुलासा यूपी एटीएस द्वारा गिरफ्तार कुर्बान अली के द्वारा मिली जानकारी के आधार पर किया गया। काले कारोबार का साम्राज्य का संपर्क नक्सलियों से भी था। गन हाउस मालिक विदेशी असलहों की कीमत पर देसी अवैध असलहा की बिक्री करते थे।

यूपी एटीएस कि पूछताछ के दौरान कुर्बान अली ने बताया कि अवैध असलहा के निर्माण के लिए पार्ट्स कनाडा और सिंगापुर से मंगाए जाते हैं। जो एल्विन दिशा ले करके आता है। जिसे प्रति असलहा के लिए लगभग 80 हजार से एक लाख रुपए दिए जाते थे। इन विदेशी पार्ट्स को कानपुर लाए जाते थे। जिन्हें गन हाउस मालिकों के माध्यम से कारीगरों को सौंप दिया जाता था। कारीगरों को असलहों की कीमत के अनुसार भुगतान दिया जाता है जो लगभग ₹20000 के आसपास बनता है।

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कुर्बान अली असलहे की पॉलिश और नंबर गुरु आने का काम करता था। जिसके लिए उसे लगभग ₹15000 मिलते थे गन हाउस मालिकों द्वारा संचालित या पूरा व्यवसाय पिछले 10 वर्षों से फल फूल रहा था। यूपी एटीएस की मानें तो लगभग ₹60 करोड़ की कमाई काले व्यवसाय से हो चुकी है। कुर्बान अली से मिली जानकारी चौंकाने वाले हैं। नक्सलियों तक भी ये असलहें पहुंचते थे। जबकि एल्विन डीशा के माध्यम से काले कारोबार के तार विदेशों से भी जुड़ गए थे।

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