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कनपुरियों को नहीं भाए मायावती और अखिलेश, गठबंधन के बाद बीजेपी पर भारी पढ़ सकती कांग्रेस

कानपुर लोकसभा सीट पर कभी नहीं जीते सपा-बसपा, कांग्रेस और बीजपी के बीत होती रही टक्कर, महागठबंधन के चलते बीजेपी के अंदर मची है खलबली, कांग्रेस की तरफ से कईयों ने मांगे टिकट

कानपुरAug 20, 2018 / 11:46 am

Vinod Nigam

कनपुरियों को नहीं भाए मायावती और अखिलेश, गठबंधन के बाद बीजेपी पर भारी पढ़ सकती कांग्रेस

कानपुर। लोकसभा चुनाव का पूरी तरह से शंखदान हो चुका है। सत्ताधारी दल बीजेपी विपक्षी दलों के मुकाबले संगठन में आगे चल रही है। जबकि सपा, बसपा और कांग्रेस प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विजयी रथ को रोकने के लिए चक्रव्यूह बनाने में जुटे हैं। हलांकि तीनों दलों के बीच अभी महागठंधन को लेकर उहापोह की स्थित बनी हुई है। इसी के चलते अखिलेश और मायावती की पार्टी के दावेदारों के अंदर जबरदस्त बेचैनी है और उनकी नजर हाईकमान के निर्णय पर टिकी है। सोशल मीडिया में चल रही संभावति गठबंधन के बाद सीट बंटवारे की लिस्ट में कानपुर नगर पंजे के खाते में बताई जा रही है और सपा व बसपा के नेता भी ये मान कर चल रहे हैं कि शहर से इसबार खुद के बजाए कांग्रेस के लिए प्रचार करना पड़ सकता है। कानपुर नगर सीट कभी सपा व बसपा नहीं जीत पाई। यहां राममंदिर आंदोलन के बाद से पंजा और कमल के बीच ही मुकाबला होता रहा। पूर्व मंत्री श्रीप्रकाश जायसवाल तीन बार सांसद चुने गए, लेकिन 2014 के चुनाव में डॉक्टर मुरली मनोहर जोशी ने भारी मतों से चुनाव जीता था।

कांग्रेस को मिल सकती है ये सीट
कहते हैं कि लखनऊ की कुर्सी का रास्ता कानपुर से गुजर कर जाता है तो दिल्ली में सत्ता पानी है तो यूपी को फतह करना जरूरी है। 2014 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने सपा, बसपा और कांग्रेस का यहां से सफाया कर दिया और 80 में 72 सीटों पर कमल खिला। 2019 के लिए चुनावी डुगडुगी बज चुकी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को रोकने के लिए क्षत्रपों के साथ कांग्रेस ने लगभग हाथ मिला लिया है और सोशल मीडिया में चल रही लिस्ट में किस दल को कौन से सीट से लड़ना है उसका पूरा ब्यूरा मौजूद है और कानपुर की सीट कांग्रेस के खाते में बताई जा रही है। कानपुर संसदीय सीट पर सबसे ज्यादा बार कांग्रेस को ही जीत हासिल हुई है। यूपी में सपा-बसपा, कांग्रेस और रालोद का गठबंधन होने की स्थिति में अगर यह सीट कांग्रेस को मिली तो यहां से पूर्व मंत्री श्रीप्रकाश जायसवाल, पूर्व विधायक अजय कपूर, कांग्रेसी नेता आलोक मिश्रा और नगर अध्यक्ष हरिप्रकाश अग्निहोत्री को टिकट मिल सकता है।

भारी मतों से जीते थे डॉक्टर जोशी
कानपुर लोकसभा सीट से पूर्व केंद्रीय मंत्री डॉक्टर मुरली मनोहर जोशी ने तीन बार से सांसद केंद्रीय मंत्री श्रीप्रकाश जायसवाल को 2 लाख 23 हजार मतों के भारी अंतर से शिकस्त देकर 15 साल बाद शहर में फिर से भाजपा का परचम फहराया था। डॉक्टर जोशी को 4,74,712 वोट मिले, वहीं श्रीप्रकाश 2,51,766 वोट ही पा सके। किदवईनगर व गोविंदनगर विधानसभा क्षेत्र ने भाजपा प्रत्याशी डॉ. जोशी की जीत की मजबूत आधारशिला रखी। किदवईनगर में उन्हें 1,38,625 वोट मिले, तो कांग्रेस प्रत्याशी श्रीप्रकाश 35,965 वोटों पर ही सिमट गए। गोविंदनगर में डॉ. जोशी को 1,24,474 व श्रीप्रकाश को 36,382 वोट मिले। इन दोनों विधान सभा क्षेत्रों में डॉ. जोशी ने कुल 1,90,752 वोटों की बढ़त बनायी।डॉ. जोशी ने सीसामऊ में 12,522 और आर्यनगर विधानसभा में 22,581 वोटों की बढ़त ली। लेकिन कैंट अकेला विधान सभा क्षेत्र रहा, जहां श्रीप्रकाश ने डॉ. जोशी को 3,062 वोटों से पछाड़ा।

तीनों साथ आए तो बढ़ जाएंगी मुश्किलें
सपा बसपा और कांग्र्रेस के साथ आने से बीजेपी की मुश्किलें बढ़ सकती है। क्योंकि करीब साढ़े तीन लाख मुस्लिम, इतने ही दलित मतदाता हैं जो महागठबंधन के पक्ष में वोट कर सकते हैं। पिछले लोकसभा चुनाव में सपा के बजाए बसपा ने कांग्रेस की मुश्किलें पढ़ाई थीं। मायावती ने यहां से सलीम अहमद को टिकट दिया था, जो करीब डेढ़ लाख से ज्यादा वोट पाए थे। वहीं सपा भी 50 हजार मत लेकर चौथे नंबर पर रही थी। राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि कांग्रेस पार्टी अकेले तो बीजेपी को टक्कर नहीं दे पाएगी, लेकिन अगर सपा-बसपा के वोटर भी साथ आ गया तो वह कांग्रेस एक बार फिर इस सीट पर फतह पा सकती है। विश्लेषकों की मानें तो निकाय चुनाव में कांग्रेस के उम्मीदवार को लोकसभा के मुकाबले ज्यादा वोट मिलें। कहा जा सकता है कि ब्राम्हण बाहूल्य सीट पर कांग्रेस ने ब्राम्हणों के एक खेमें को पंजे के साथ लाने में कामयाब रही थी।

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