कानपुर

कानपुर में ठेले पर चाट, समोसे, पान व कबाड़ बेचने वाले 256 लोग करोड़पति, इस तरह हुआ खुलासा

-कानपुर के खस्ता समोसे, चाट व पान वाले निकले करोड़पति,-जीएसटी रजिस्ट्रेशन व आयकर विभाग जांच में खुला चिट्ठा,-ऐसे 256 व्यापारियों ने बिना जीएसटी व आयकर करोड़ों कमाए

कानपुरJul 20, 2021 / 05:10 pm

Arvind Kumar Verma

पत्रिका न्यूज नेटवर्क
कानपुर. शहर के बड़े कारोबारी व व्यापारी ही नहीं बल्कि ठेले लगाने वाले लोग भी करोड़ों में खेल रहे हैं। इस बात का खुलासा आयकर विभाग (Income department) एव जीएसटी (GST Tax) रजिस्ट्रेशन की जांच में हुआ है। दरअसल कानपुर में सड़क किनारे खोखे व ठेले पर चाट, खस्ते, समोसे, फल व कबाड़ा बेचकर लोग करोड़ों रुपए की कमाई कर रहे हैं। गली-मोहल्ले के छोटे-छोटे किराना और दवा व्यापारी भी करोड़पति हैं। सैकड़ों बीघा कृषि जमीन के मालिक हैं। फिर भी ये लोग आयकर और जीएसटी से बचते रहे हैं। बिग डेटा सॉफ्टवेयर, आयकर विभाग और जीएसटी रजिस्ट्रेशन की जांच में ऐसे 256 ठेले वाले करोड़पति निकले हैं। ऐसे छिपे लोगों पर आयकर विभाग (Income Tax Department Enquiry) की काफी समय से खुफिया नजर बनाए था।
अब ऐसे व्यापारियों के जुटाए जा रहे डेटा

अब ऐसे व्यापारियों का डेटा भी जुटाया जा रहा है। अत्याधुनिक टेक्नोलाजी ने खुफिया करोड़पतियों को पकड़ना शुरू कर दिया है। इन व्यापारियों ने चार साल में 375 करोड़ रुपए की प्रापर्टी खरीद ली। ये संपत्तियां आर्यनगर, स्वरूप नगर, बिरहाना रोड, हूलागंज, पीरोड, गुमटी जैसे बेहद महंगे कामर्शियल इलाकों में खरीदी गईं। 30 करोड़ से ज्यादा के केवीपी खरीद डाले। 650 बीघा कृषि जमीन के मालिक भी बन गए। ये जमीनें कानपुर देहात, कानपुर नगर के ग्रामीण इलाकों सहित फरुखाबाद तक खरीदी गईं हैं।
बिना जीएसटी व आयकर दिए कमाए करोड़ों

यहां तक कि आर्यनगर की दो, स्वरूप नगर की एक और बिरहाना रोड की दो पान दुकानों के मालिकों ने कोरोना काल में पांच करोड़ की प्रापर्टी खरीदी है। मालरोड का खस्ते वाला अलग-अलग ठेलों पर हर महीने सवा लाख रुपए किराया दे रहा है। ऐसे ही स्वरूप नगर, हूलागंज के दो खस्ते वालों ने दो इमारतें खरीदीं। लालबंगला का एक और बेकनगंज के दो कबाड़ियों ने दो वर्ष में तीन संपत्तियां खरीदी हैं, जिनकी बाजार कीमत दस करोड़ से ज्यादा है। बिरहाना रोड, मालरोड, पीरोड के चाट व्यापारियों ने भी जमीनों पर खासा निवेश किया। करोड़ों कमाने वाले जीएसटी रजिस्ट्रेशन से बाहर छोटे किराना व्यापारियों और दवा व्यापारियों की संख्या 65 से ज्यादा है।
आयकर विभाग के वरिष्ठ अफसर के मुताबिक

आयकर विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक जब अकूत कमाई हो रही हो तो निवेश के रास्ते हर व्यक्ति तलाशता है। विभागो की नजर से बचने के लिए उन्होंने चालाकी तो दिखाई, लेकिन मात खा गए। नज़र से बचने के लिए सहकारी बैंकों और स्माल फाइनेंस में खाते खुलवाए। प्रापर्टी में ज्यादातर निवेश भाई, भाभी, चाचा, मामा और बहन के नाम किया गया है, लेकिन पैन कार्ड अपना लगा दिया। फिर एक प्रापर्टी में पैन कार्ड और आधार आते ही पूरी कलई खुल गई।

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