जोधपुर. मथुरा दास माथुर अस्पताल के हृदय रोग विभाग में बुधवार को बिना चीरे के 80 साल की महिला के हार्ट के वॉल्व का सफल प्रत्यारोपण किया गया। महिला अब स्वस्थ है। उपचार आरजीएचएस में पूरी तरह नि:शुल्क किया गया।
मरीज ने मथुरादास माथुर अस्पताल में डॉ. रोहित माथुर से संपर्क किया, जहां मरीज की इको तथा अन्य जांच करने के बाद ट्रांसकैथेटर एओर्टिक वॉल्व इम्प्लाटेंशन (टावी) का निर्णय लिया गया।
यह थी तकलीफ
मरीज के हृदय तथा शरीर में रक्त पहुंचाने वाली मुख्य नाड़ी (एओर्टा) के मध्य स्थित एऑर्टिक वाल्व में गंभीर सिकुडऩ (वालव्यूलर एऑर्टिक स्टेनोसिस) की तकलीफ थी। इसके चलते मरीज के हृदय पर बहुत दबाव था। मरीज सांस फूलने तथा चलते ही कमजोरी से ग्रसित थी। मरीज को कभी भी हार्ट फेल्यर या गंभीर अनियमित धडक़न का खतरा था।
ऐसे मिली राहत
अमूमन इस बीमारी का इलाज चीरे वाले ऑपरेशन से सिकुड़े हुए वॉल्व को बदलना रहता है, जिसे सर्जिकल एऑर्टिक वॉल्व रिप्लेसमेंट कहते है। चूंकि मरीज 80 साल की वृद्धा थी। उन्हें गंभीर फेफड़ों की बीमारी भी थी। मरीज सर्जरी के लिए हाई रिस्क अनफिट थी। ऐसे में एऑर्टिक वॉल्व का प्रत्यारोपण बिना चीरे, बिना बेहोशी एंजियोग्राफिक विधि से किया जाता है, जिसे ट्रांस कैथेटर एऑर्टिक वाल्व इंप्लांटेशन ( ञ्ज्रङ्कढ्ढ) कहा जाता है।
मरीज ने मथुरादास माथुर अस्पताल में डॉ. रोहित माथुर से संपर्क किया, जहां मरीज की इको तथा अन्य जांच करने के बाद ट्रांसकैथेटर एओर्टिक वॉल्व इम्प्लाटेंशन (टावी) का निर्णय लिया गया।
यह थी तकलीफ
मरीज के हृदय तथा शरीर में रक्त पहुंचाने वाली मुख्य नाड़ी (एओर्टा) के मध्य स्थित एऑर्टिक वाल्व में गंभीर सिकुडऩ (वालव्यूलर एऑर्टिक स्टेनोसिस) की तकलीफ थी। इसके चलते मरीज के हृदय पर बहुत दबाव था। मरीज सांस फूलने तथा चलते ही कमजोरी से ग्रसित थी। मरीज को कभी भी हार्ट फेल्यर या गंभीर अनियमित धडक़न का खतरा था।
ऐसे मिली राहत
अमूमन इस बीमारी का इलाज चीरे वाले ऑपरेशन से सिकुड़े हुए वॉल्व को बदलना रहता है, जिसे सर्जिकल एऑर्टिक वॉल्व रिप्लेसमेंट कहते है। चूंकि मरीज 80 साल की वृद्धा थी। उन्हें गंभीर फेफड़ों की बीमारी भी थी। मरीज सर्जरी के लिए हाई रिस्क अनफिट थी। ऐसे में एऑर्टिक वॉल्व का प्रत्यारोपण बिना चीरे, बिना बेहोशी एंजियोग्राफिक विधि से किया जाता है, जिसे ट्रांस कैथेटर एऑर्टिक वाल्व इंप्लांटेशन ( ञ्ज्रङ्कढ्ढ) कहा जाता है।
ऑपरेशन टीम
डॉ. रोहित माथुर, डॉ. पवन सारडा, डॉ. अनिल बारूपाल, डॉ. सुभाष बलारा, डॉ. अभिनव सिंह, डॉ. देवाराम, डॉ. राकेश कर्णावत, डॉ. शिखा सोनी तथा डॉ. गायत्री तंवर। नर्सिंग ऑफिसर महेंद्र, योगेश, हरीश, हेमलता, करुणा, नंदकिशोर व नवीन। जयपुर के विशेषज्ञ डॉ. रवींद्र सिंह राव की विशेष सेवा।
विशेषज्ञों की सेवाएं
हृदय रोग विभाग के डॉक्टरों की टीम ने इस तरह के उच्च स्तरीय प्रोसिजर कर के आमजन की सेवा करते हुए नए आयाम को छुआ है। मथुरादास माथुर अस्पताल में अत्याधुनिक सुविधाओं के साथ विशेषज्ञों की सेवा के चलते अब जटिल ऑपरेशन के लिए भी किसी को बाहर जाने की जरूरत नहीं है।
– डॉ. दिलीप कच्छवाह, प्रिंसिपल, डॉ. एसएन मेडिकल कॉलेज
डॉ. रोहित माथुर, डॉ. पवन सारडा, डॉ. अनिल बारूपाल, डॉ. सुभाष बलारा, डॉ. अभिनव सिंह, डॉ. देवाराम, डॉ. राकेश कर्णावत, डॉ. शिखा सोनी तथा डॉ. गायत्री तंवर। नर्सिंग ऑफिसर महेंद्र, योगेश, हरीश, हेमलता, करुणा, नंदकिशोर व नवीन। जयपुर के विशेषज्ञ डॉ. रवींद्र सिंह राव की विशेष सेवा।
विशेषज्ञों की सेवाएं
हृदय रोग विभाग के डॉक्टरों की टीम ने इस तरह के उच्च स्तरीय प्रोसिजर कर के आमजन की सेवा करते हुए नए आयाम को छुआ है। मथुरादास माथुर अस्पताल में अत्याधुनिक सुविधाओं के साथ विशेषज्ञों की सेवा के चलते अब जटिल ऑपरेशन के लिए भी किसी को बाहर जाने की जरूरत नहीं है।
– डॉ. दिलीप कच्छवाह, प्रिंसिपल, डॉ. एसएन मेडिकल कॉलेज