दो प्रकार के प्लास्टिक का उपयोग
प्लास्टिक प्रोडक्ट का उपयोग पिछले लम्बे समय से किया जा रहा है। इसमें एलडीपीई यानि लो डेंसिटी पॉलिथिन का उपयोग किया जाता है। इसके अलावा पीपी यानि पॉली प्रोपलीन का उपयोग भी रॉ मेटेरियल के रूप में किया जाता है। यह प्रोडक्ट फैक्टि्रयों में वेस्ट के रूप में निकलते हैं और स्थानीय स्तर पर खरीदे भी जाते हैं।
प्लास्टिक प्रोडक्ट का उपयोग पिछले लम्बे समय से किया जा रहा है। इसमें एलडीपीई यानि लो डेंसिटी पॉलिथिन का उपयोग किया जाता है। इसके अलावा पीपी यानि पॉली प्रोपलीन का उपयोग भी रॉ मेटेरियल के रूप में किया जाता है। यह प्रोडक्ट फैक्टि्रयों में वेस्ट के रूप में निकलते हैं और स्थानीय स्तर पर खरीदे भी जाते हैं।
रिप्रोसेस्डग्रेनुअल से यह प्रोडक्ट बनते हैं – प्लास्टिक केनिंग की कुर्सियां। – प्लास्टिक के डिस्पोजल बाउल। – प्लास्टिक पेवर्स की इंटरलॉकिंग टाइल्स। – प्लास्टिक की टंकी के ढक्कन बनते हैं।
दो टन से ज्यादा का माल बनता मरुधरा पॉलिपैक्स के रूप में मनोज पुरोहित बताते हैं कि एक दिन में करीब दो टन से ज्यादा प्लास्टिक का माल प्रोसेस किया जाता है। इसके बाद जो ग्रेनुअल बनते हैं। उसको स्थानीय स्तर पर कई व्यापारी खरीदते हैं। इन प्लास्टिक के ग्रेनुअल को वापस पिघला कर अलग-अलग प्रकार के प्रोडक्ट बनाए जा सकते हैं। खास बात यह है कि कई उद्यमी आठ से दस लाख के इंवेस्टमेंट में इस ग्रेनुअल का उपयोग कर कई प्रोडक्ट बना रहे हैं।
7-8 बार हो सकता है उपयोग धरा प्रदूषण का सबसे बड़ा कारण यह प्लास्टिक होता है। इस प्रोसेस में एक प्लास्टिक को सात से आठ बार अपसाइकिल किया जा सकता है। महेश पुरोहित बताते हैं कि इतनी बार उपयोग करने के बाद यह प्रोडक्ट मिट्टी का रूप ले लेते हैं।