न्यायाधीश डॉ. पुष्पेंद्र सिंह भाटी और न्यायाधीश मुन्नुरी लक्ष्मण की खंडपीठ में याचिकाकर्ता हनुमानगढ़ निवासी सुरेंद्र कुमार जाखड़ की ओर से कहा गया कि डॉ. विद्यार्थी बीकानेर तकनीकी यूनिवर्सिटी अधिनियम की धारा 11 के अनुसार पद धारण करने के लिए अयोग्य हैं। प्रावधान के अनुसार कोई भी व्यक्ति कुलपति के रूप में नियुक्ति के लिए तब तक पात्र नहीं होगा, जब तक कि उसके पास तकनीकी शिक्षा के क्षेत्र में यूनिवर्सिटी या कॉलेज में प्रोफेसर के रूप में या किसी प्रतिष्ठित शोध या शैक्षणिक प्रशासनिक संस्थान में समकक्ष पद पर कम से कम 10 वर्ष का अनुभव न हो। याचिका में कहा गया कि याचिकाकर्ता के पास निर्धारित अवधि से कम अनुभव है और उन पर प्रशासनिक और वित्तीय अनियमितताओं के आरोप हैं। अतिरिक्त महाधिवक्ता मनीष पटेल ने कहा कि डॉ. विद्यार्थी की नियुक्ति से पहले समस्त प्रक्रिया का पालन किया गया था। उसके बाद ही नियुक्ति की गई। उन्होंने कहा कि राज्यपाल की ओर से गठित दो सदस्यीय समिति ने नियुक्ति की जांच की और कोई अनियमितता नहीं पाई। जांच के बाद समिति ने कुलपति को उनके खिलाफ लगे आरोपों से भी बरी कर दिया। खंडपीठ ने कहा कि दो सदस्यीय समिति ने जांच के बाद प्रतिवादी कुलपति को उन पर लगे आरोपों से बरी कर दिया है। इसलिए, वर्तमान जनहित याचिका याचिका को पचास हजार रुपए की कॉस्ट के साथ खारिज कर दिया गया।