मेला स्थल पर मिठाई, खिलौने, झूला सहित अनेक प्रकार की दुकानें रविवार को लगाकर मेले की तैयारियां पूर्ण कर दी गई है। मेले में जोधपुर, बाड़मेर ,पाली ,जालौर जिलों सहित अनेक गांवों के सैकड़ों श्रद्धालु भाग लेते हैं। मेले की शुरुआत रुद्राभिषेक के साथ की जाएगी।
हर प्रहर में अलग स्वरूप के दर्शन
देवाधिदेव शिव के अनेक रूप हैं लेकिन जोधपुर जिले के धुंधाड़ा से मात्र 6 किमी दूर बाड़मेर सीमा में आने वाले गांव सामूजा के प्राचीन सामुजेश्वर महादेव मंदिर में तीनों प्रहर में शिव के तीन अलग-अलग स्वरूप के दर्शन होते हैं। हर वर्ष श्रावणी तीज के बाद में आने वाले सोमवार को विशेष मेला होता है जिसमें क्षेत्र के चोराई यानी 84 गांव के लोग शीश नवाते हैं। श्रावण मास में नित्याभिषेक करने वाले पंडित बताते हैं कि सुबह शिवलिंग सफेद, दोपहर में भूरा और शाम को श्याम रंग में दर्शन देते हैं।
यह शिव के ज्योतिर्लिंग होने का प्रमाण है। सामुजेश्वर महादेव पूर्वाभिमुख शिवलिंग है जहां मंदिर के सामने स्थित तालाब से होकर सूर्य की किरणें शिवलिंग पर पड़ती है। शिवालय से 10 किलोमीटर तक आसपास कोई पहाड़ी नहीं है लेकिन शिवलिंग का अंतिम छोर पहाड़ी नुमा है । गांव से जुड़े बुजुर्गों का कहना है कि मंदिर में स्थित शिवलिंग स्वयंभू हैं।
मंदिर की एक विशेषता यह भी है कि यहां पर हजार घट जल से भी यदि रुद्राभिषेक किया जाए तो शिवलिंग के बाण से पानी बाहर नहीं आता है। शिवालय के सामने तालाब में वर्षाकाल में एकत्र जल छह माह तक अमृत तुल्य रहता है लेकिन 6 महीने के बाद पानी स्वत: ही खारा हो जाता है।