2020 में परिसीमन से बनाए थे दो निगम
दरअसल पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार ने वर्ष 2020 में सुशासन का आधार बताकर जयपुर, जोधपुर व कोटा में परिसीमन करवाकर इन तीनों शहरों को दो नगर निगम में बांट दिया था। दोनों निगम में 80-80 वार्ड बनाए गए। उस चुनाव में उत्तर में कांग्रेस और दक्षिण में भाजपा का बोर्ड बना था। निगमों के विभाजन के बाद इनके अलग कार्यालय स्थापित किए गए तथा अलग-अलग अधिकारियों और कार्मिकों की भी व्यवस्था की गई। उस समय विपक्ष के रूप में बीजेपी ने इसका विरोध किया था। बीजेपी का यह आरोप था कि राज्य सरकार राजनीतिक लाभ के लिए यह विभाजन कर रही है।अलग निगम से क्या फायदा हुआ
जोधपुर में दो निगम बने लगभग चार वर्ष हो रहे हैं। दो निगम बनने से कार्यालय, कार्मिक की व्यवस्था अलग-अलग करनी पड़ी। पहले जोधपुर में केवल 65 वार्ड ही थे। अब 160 वार्ड हो गए। इससे निगमों में लोगों का प्रतिनिधित्व बढ़ा। वार्ड छोटे होने से लोगों की पहुंच भी पार्षदों तक अधिक हुई, लेकिन दोनों निगमों के क्षेत्राधिकार को लेकर अभी भी जनता में ऊहापोह की स्थिति बनी रहती है। इससे प्रशासनिक व्यय भी बढ़ गया।क्या कहता है संविधान
74वें संशोधन द्वारा नगरपालिकाओं को संवैधानिक दर्जा दिया गया था। अनुच्छेद 243 क्यू व आर राज्य सरकार को नगरपालिओं के गठन तथा सरंचना संबंधी अधिकार देते हैं। राज्य सरकार इनके आधार पर नगर पालिकाओं का गठन कर सकती है।- डॉ. दिनेश गहलोत, राजनीतिक विज्ञान विभाग, जयनारायण व्यास विवि, जोधपुर
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