Jodhpur News : जोधपुर. ग्रीन एनर्जी में राजस्थान सिरमौर बना। सोलर और विंड एनर्जी की विकास यात्रा 12 साल में 200 मेगावाट से 21 हजार मेगावाट तक पहुंच गई है। आने वाले समय में यह और तेजी से बढ़ेगा। हालात यह कि जितनी क्षमता में हम बिजली बना रहे हैं उतनी क्षमता से ट्रांसमिशन नहीं कर पार रहे। ऐसे में 400 केवी की लाइनों पर ही राजस्थान विद्युत प्रसारण निगम का पूरा सिस्टम चल रहा है। यह लाइनें भी अब ओवरलोड होकर हांफने लगी है। इस कारण कई बार ट्रिपिंग और सिस्टम लॉक होने की समस्या आती है।
सरकार ने ग्रीन एनर्जी की ट्रांसमिशन को उच्च गुणवत्ता का बनाने के लिए 800 करोड़ की लागत से 765 केवी जीएसएस की घोषणा की थी, लेकिन कागजों से बाहर नहीं आ पाया है। नतीजा यह हुआ कि अभी जो प. राजस्थान में बिजली बन रही है वह पावरग्रिड के 765 केवी जीएसएस की लाइनों से जा रही है। प्रसारण निगम का जीएसएस बनने के बाद बिना लॉसेज के बिजली सीधे उत्तरी ग्रिड तक पहुंच पाएगी।
2019 के बाद ऐसे आया बूम
वर्ष 2019 से पहले राजस्थान की सोलर ग्राउंड माउंटेड क्षमता 3074.43 मेगावाट थी। 5398.65 मेगावाट रिकॉर्ड एक ही साल में सोलर उपकरण लगे यह वर्ष 2021-22 में हुआ।
वर्ष 2019 से पहले राजस्थान की सोलर ग्राउंड माउंटेड क्षमता 3074.43 मेगावाट थी। 5398.65 मेगावाट रिकॉर्ड एक ही साल में सोलर उपकरण लगे यह वर्ष 2021-22 में हुआ।
3733.4 मेगावाट वर्ष 2022-23 में और 1296.77 मेगावाट वर्ष 2023-24 में बढ़ा। 16098.02 मेगावाट वर्तमान में सोलर उपकरणों की क्षमता है राजस्थान में है। अभी यह स्थिति
16098.02 मेगावाट के सोलर जनरेशन प्लांट लगे हुए हैं।
16098.02 मेगावाट के सोलर जनरेशन प्लांट लगे हुए हैं।
5208 मेगावाट के विंड जनरेशन के प्लांट लगे हुए हैं। 400 केवी की लाइनों से ट्रांसमिशन हो रहा है ग्रीन एनर्जी का। सौ मेगावाट में बनती 8.65 लाख यूनिट बिजली
100 मेगावाट सोलर क्षमता के उपकरण 8.65 लाख यूनिट बिजली उत्पादन करता है। राजस्थान में सोलर जनरेशन के 16 हजार मेगावाट के उपकरण लगे हैं, इनसे 12 करोड़ लाख यूनिट बिजली बनती है। एक बार यदि ओवरलोड से सिस्टम बंद होता है तो 7 हजार मेगावाट का नुकसान हो सकता है यानि करीब 5 करोड़ यूनिट बिजली का ट्रांसमिशन नहीं हो पाता।
100 मेगावाट सोलर क्षमता के उपकरण 8.65 लाख यूनिट बिजली उत्पादन करता है। राजस्थान में सोलर जनरेशन के 16 हजार मेगावाट के उपकरण लगे हैं, इनसे 12 करोड़ लाख यूनिट बिजली बनती है। एक बार यदि ओवरलोड से सिस्टम बंद होता है तो 7 हजार मेगावाट का नुकसान हो सकता है यानि करीब 5 करोड़ यूनिट बिजली का ट्रांसमिशन नहीं हो पाता।
इनका कहना
दो जगह 765 केवी जीएसएस की प्लानिंग चल रही है। एक भड़ला में नया बनेगा और दूसरा कांकाणी में 400 केवी के जीएसएस को अपग्रेड करेंगे। पीजीसीएल भी अपनी क्षमता बढ़ा रही है। यह सीधे फागी जीएसएस से जुड़ेगा। इसके बाद ट्रांसमिशन में लॉस भी कम होंगे। – सुधीर जैन, जोनल चीफ इंजीनियर, राजस्थान राज्य विद्युत प्रसारण निगम लिमिटेड।
दो जगह 765 केवी जीएसएस की प्लानिंग चल रही है। एक भड़ला में नया बनेगा और दूसरा कांकाणी में 400 केवी के जीएसएस को अपग्रेड करेंगे। पीजीसीएल भी अपनी क्षमता बढ़ा रही है। यह सीधे फागी जीएसएस से जुड़ेगा। इसके बाद ट्रांसमिशन में लॉस भी कम होंगे। – सुधीर जैन, जोनल चीफ इंजीनियर, राजस्थान राज्य विद्युत प्रसारण निगम लिमिटेड।