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जोधपुर

RAILWAY HOSPITAL–एक क्लिक पर मिलने लगी मरीजों को केस हिस्ट्री

– उत्तर-पश्चिम रेलवे के जोधपुर मंडल रेलवे अस्पताल में चिकित्सा सेवाओं को ‘उम्मीद’ के पंख लग गए हैं।

जोधपुरOct 30, 2023 / 10:16 pm

Amit Dave

RAILWAY HOSPITAL–एक ​क्लिक पर मिलने लगी मरीजों को केस हिस्ट्री

जोधपुर।
उत्तर-पश्चिम रेलवे के जोधपुर मंडल रेलवे अस्पताल में चिकित्सा सेवाओं को ‘उम्मीद’ के पंख लग गए हैं। मंडल रेलवे अस्पताल में चिकित्सा सेवाओं का लाभ लेने के लिए सेवारत कर्मचारियों और पेंशनर्स के लिए उम्मीद (यूनिक मेडिकल आइडेंडिटी कार्ड) कार्ड की अनिवार्यता लागू की गई थी, जिसके अमल में लाने के बाद रोगियों के साथ चिकित्सकों व अस्पताल स्टाफ को भी सुविधा होने लगी है। नई व्यवस्था के तहत सेवारत और पेंशनर्स को यूनिक आई डी नंबर जारी किए गए हैं, जो स्थाई है और इनके आधार पर वह सम्बद्ध अस्पताल में सीधे उपचार के लिए जा सकते है। लगभग 90 फीसदी रेलकर्मियों व आश्रितों के उम्मीद मेडिकल कार्ड बन चुके है।
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इलाज का रिकॉर्ड डिजीटली स्टोर

डीआरएम पंकजकुमार सिंह के अनुसार, उम्मीद कार्ड के बनने से रेल कर्मचारियों को न सिर्फ केंद्रीय स्वास्थ्य योजना का लाभ मिल रहा है बल्कि वे केंद्र सरकार की ओर से मान्यता प्राप्त बड़े अस्पतालों में कैशलेस इलाज की सुविधा भी ले रहे है। इस कार्ड की खासियत यह है कि इसमें हर एक कर्मचारी और उनके आश्रितों के मेडिकल रिकाॅर्ड डिजीटल रूप से स्टोर किए गए है। जिसे एक्सेस करने पर पता चल जाता है कि संबधित कर्मचारी या उनका परिवार किस बीमारी का इलाज कहां पर कराया है और उनकी किस तरह की दवा चल रही थी। इसके अलावा, उम्मीद कार्ड से रोगियों को उपचार परामर्श के लिए मेडिकल डायरी और लाल कार्ड की बाध्यता नहीं है।
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मोबाइल एप पर भेजी जा रही जांच रिपोर्ट

उम्मीद कार्ड आधारित मोबाइल एप एचएमआईएस के जरिए कर्मचारी संबंधित चिकित्सक से परामर्श से लेकर दवाई प्राप्त करने का रेकॉर्ड, सिक-फिट, अन्य अस्पताल में रेफर तथा मेडिकल जांच रिपोर्ट का रिकॉर्ड सहेज कर रख सकता है। इसके अलावा रेलकर्मी को अपनी जांच रिपोर्ट लेने अब अस्पताल जाने की भी जरुरत नहीं है क्योंकि जांच रिपोर्ट मोबाइल एप पर ऑनलाइन भेज दी जाती है।
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यह सुविधा भी
– कंप्यूटर में रहने लगा पुराने उपचार का डेटा।
– कब किस डॉ को दिखाया यह भी निहित।
– आखरी बार अस्पताल में कब की विजिट यह भी दर्ज।
– पुरानी रिपोर्ट भी रहने लगी सुरक्षित।
– दवा वितरण में भी फार्मासिस्ट को मिली सुविधा
– मरीज का सी आर नम्बर बना अस्पताल में उसकी पहचान
– चिकित्सकों को एक क्लिक पर मिलने लगी मरीज की केस हिस्ट्री
– दवाइयों के पन्ने पर लिखने में लगने वाले समय में हुई बचत

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