जोधपुर

सोचिए क्या होगा, जब गोबर से बनी ईंट से बनेगा आपके सपनों का घर, अंदर दिखेगा कुदरत का करिश्मा

लैब ने प्रमाणित करते हुए इसे बिल्डिंग बनाने के उपयोग में लेने के काबिल माना है। ये ईंटें मकान का भार, बारिश व तूफान के थपेड़े भी सहन कर सकती हैं।

जोधपुरJun 09, 2023 / 03:19 pm

Rakesh Mishra

जयकुमार भाटी, जोधपुर। अब गाय के गोबर से बनी ईंटों से लोग अपने सपनों का आशियाना बना सकेंगे। लागत में कम और वजन में हल्की होने के साथ यह तकनीक इको फ्रेंडली भी साबित हो रही है। एमबीएम यूनिवर्सिटी के आर्किटेक्चर विभाग की असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. प्रियंका मेहता ने बताया कि विवि में वर्ष 2020 में एक रिसर्च के तहत इसे शुरू किया गया।
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इसके बाद इसे बनाने के मैटर पर रिसर्च किया। फिर गोबर के प्रयोग से इसे बनाया गया। बाद में रेडिएशन मापने और तापमान कम करने के लिए इस पर रिसर्च करते हुए दिल्ली की टेरी लैब से इसको प्रमाणित भी करवाया है। डॉ. प्रियंका ने बताया कि इंडिकाऊ ब्रिक्स से पौने तीन वर्ष पूर्व दस बाई दस साइज का एक कमरा विवि में तैयार करवाया है। बारिश होने पर भी इस कमरे को नुकसान नहीं पहुंचा। लैब ने प्रमाणित करते हुए इसे बिल्डिंग बनाने के उपयोग में लेने के काबिल माना है। ये ईंटें मकान का भार, बारिश व तूफान के थपेड़े भी सहन कर सकती हैं।

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ईंट गोबर और लाइम के मेल से बनी है। ईंट को इंडिकाऊ ब्रिक्स नाम दिया गया है। ये ईंटें वजन में हल्की होने के साथ घर के अंदर और बाहर के तापमान को संतुलित रखती हैं। खासतौर से गर्मी के दिनों में यह ठंडी रहती है और बारिश में खराब नहीं होती। प्रदूषण और हानिकारक रेडिएशन के असर को कम करती है।

गोबर की ईंटों से बने भवन में ऑक्सीजन का स्तर बहुत अच्छा होता है। यह जीवाणु संक्रमण के जोखिम को कम करने के साथ भवन का आंतरिक तापमान संतुलित रखती है। विकिरण व कार्बन की मात्रा कम करने में मदद करती है।
– कमलेश कुम्हार, वास्तुविद्, जोधपुर

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