महाराष्ट्र सरकार के उपक्रम फॉरेस्ट डेवलपमेंट कॉरपोरेशन ऑफ महाराष्ट्र के एमडी विकास गुप्ता के साथ अधिकारियों की यह टीम जोधपुर पहुंची। राजस्थान सरकार के वन विभाग की ओर से मॉडल को देखने के लिए जोधपुर के लटियाल हैंडीक्राफ्ट का चयन किया गया। यहां टीम ने वरिष्ठ निर्यातक राधेश्याम रंगा सहित अन्य लोगों के साथ चर्चा की। रंगा ने जोधपुर के हैंडीक्राफ्ट का मॉडल और अब तक की विकास यात्रा के बारे में जानकारी दी।
यह थे टीम में शामिल कारपोरेशन के सीजीएम संजीव गौर, सीसीएफ जोधपुर आरके जैन, महाराष्ट्र कारपोरेशन के आरएम सुमित कुमार, जीएम सतीश वाडसकर, जोधपुर जिला उपवन संरक्षक मोहित गुप्ता, तुषार तदस, स्वप्निल मरासकोले, गणेश मतकर और संबाजीकोंडेवाड मौजूद रहे।
महाराष्ट्र की लकड़ी की खासियत महाराष्ट्र में यह फर्नीचर सेक्टर नागपुर शहर के नजदीक विकसित किया जाएगा। नागपुर के पास जो लकड़ी पाई जाती है वह भारत में सबसे उच्च गुणवत्ता की मानी जाती है। इसी लकड़ी का उपयोग अयोध्या में राम मंदिर बनाने और संसद भवन के साथ पीएमओ में भी किया गया है। ऐसे में उच्च गुणवत्ता की लकड़ी के फर्नीचर का फायदा जोधपुर को भी मिल सकता है।
सरकार खुद बनाएगी मैन्युफैक्चर हब एक्सपोर्ट लेवल का फर्नीचर तैयार करने के लिए महाराष्ट्र सरकार खुद मैन्युफैक्चरिंग हब लगाएगी। इसमें वहां के कारीगरों को ट्रेंड करने के साथ ही फ्रीलांस एक्सपोर्ट करने वाले उद्यमियों का माल भी तैयार किया जाएगा।
जोधपुर इसलिए खास जोधपुर का हैंडीक्राफ्ट एक्सपोर्ट 4500 करोड रुपए से ज्यादा है। इसमें से 70 प्रतिशत फर्नीचर बनता है। इस सेक्टर से प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से करीब डेढ़ लाख लोग रोजगार लेते हैं। वरिष्ठ एक्सपोर्ट राधेश्याम रंगा बताते हैं कि अमेरिका और यूरोप में जोधपुर के हैंडीक्राफ्ट फर्नीचर की सबसे ज्यादा डिमांड है।