4 दिसंबर 2013 को
जोधपुर निगम के वार्ड संख्या 44 में बतौर सफाई कर्मचारी कार्यरत सुखराम की मृत्यु हो गई। इस पर बेटे रवि प्रकाश ने 30 दिसंबर 2013 को पिता की जगह आश्रित के तौर पर नियुक्ति का आवेदन किया। 13 सितंबर 2014 को पत्रावली चलाई गई। तत्कालीन उपायुक्त मुख्यालय केपीएस चौहान ने प्रपत्र 3 खाली छोड़ते हुए पत्रावली आगे चला दी और रवि प्रकाश को बतौर आश्रित सफाई कर्मचारी के पद पर नियुक्ति दे दी गई।
शपथ पत्र में कहा-माता-पिता गुजर गए, कोई सरकारी नौकरी में नहीं
अतिक्रमण प्रभारी रवि प्रकाश ने 15 जनवरी 2014 को दिए गए शपथ पत्र में इस बात का उल्लेख किया कि माता-पिता के निधन के बाद उसके अलावा घर में कोई वारिस नहीं है। उसने शपथ पत्र में इसका उल्लेख भी किया कि वह सरकारी या अर्ध सरकारी सेवा में कार्यरत नहीं है और न ही पिता सुखदास के आश्रितों में से कोई सरकारी अथवा अर्ध सरकारी सेवा में है, जबकि उसकी मां सज्जनदेवी निगम में सफाई कर्मचारी के पद पर कार्य कर रहीं थीं।
ऐसे हुआ खुलासा
तत्कालीन महापौर घनश्याम ओझा के पास यह शिकायत पहुंची। उन्होंने रवि प्रकाश की सर्विस बुक निकाली तो सारा मामला खुल गया। प्रकरण की जांच करने के लिए तीन सदस्यीय जांच कमेटी गठित की गई। निगम के पूर्व आयुक्त सुरेश कुमार ओला ने रविप्रकाश बारासा को एपीओ कर तीन सदस्यीय जांच कमेटी भी गठित की। जांच शुरू भी हुई, लेकिन पूरी नहींं हो पाई।