जोधपुर हैंडीक्राफ्ट एक्सपोर्ट एसोसिएशन के अध्यक्ष डा. भरत दिनेश ने केन्द्रीय कपडा मंत्री को बताया कि भीषण मंदी के दौर में आने वाले दिनों में निर्यातकों को एक और चुनौती का सामने करना पड़ सकता है। यूरोपियन यूनियन के लकड़ी के प्रोडक्ट निर्यात करने के लिए लागू किए गए ईयूडीआर नियम में दिसम्बर से यूरोप में लकड़ी के उत्पाद निर्यात करने के लिए चैनल डॉक्यूमेंट एवं सर्टिफिकेशन की आवश्यकता रहेगी। इससे निर्यात पर विपरीत असर पड़ेगा। दिनेश ने एक पत्र के माध्यम से निर्यातकों की चिंताओं को व्यक्त किया, जिसमें उन्होंने आर्थिक मंदी, उच्च शिपिंग लागत और नए अंतरराष्ट्रीय विनियमों जैसे मुद्दों का समाधान करने की मांग रखी। इस उपलक्ष में राधेश्याम रंगा, महावीर बागरेचा, खेमचंद खत्री, मनीष झंवर सहित अन्य मौजूद रहे।
रोजगार पर संकट
एसोसिएशन के सचिव राजेन्द्र मेहता ने कहा कि हमारा संघ राजस्थान की 900 हस्तशिल्प निर्यातक सदस्यों का प्रतिनिधित्व करता है, जो प्रति वर्ष लगभग 12,000 करोड़ रुपए की विदेशी मुद्रा अर्जित करते हैं और 6 लाख से अधिक लोगों को रोजगार प्रदान करते हैं। वर्तमान में हमारे निर्यातक कई गंभीर चुनौतियों का सामना कर रहे हैं। सीओए सदस्य हंसराज बाहेती ने भाड़ा बढ़ने से फैक्ट्रियों में काम बंद होने की समस्या से अवगत करवाया।प्रमुख समस्याएं
- हस्तशिल्प निर्यातक बढ़ती शिपिंग लागत के कारण भारी दबाव में हैं, जो छह गुना बढ़ गई है, विशेषकर रेड सी संकट के कारण। इस स्थिति ने माल ढुलाई की दरों में 600 प्रतिशत तक की वृद्धि कर दी है। जिससे निर्यात उद्योग पर गंभीर प्रभाव पड़ा है। इस मुद्दे को हल करने के लिए सरकारी हस्तक्षेप की अपील की है।
- पिछले वर्ष घोषित हुई इंसेन्टीव स्कीम रोडटेप में हैंडीक्राफ्ट की दरों के लिए निराशाजनक हैं, जो पिछले इंसेंटीव दरों की तुलना में बहुत कम हैं। निर्यातको ने केंद्रीय मंत्री से अनुरोध किया है कि वे हस्तशिल्प उत्पादों के लिए रोडटेप दरों में वृद्धि करने के लिए हस्तक्षेप करें ।
- क्वालिटी कंट्रोल ऑर्डर पर अपनी चिंताओं को व्यक्त किया है।
- भारतीय लकड़ी के उत्पादों में कीटनाशकों के अवशेषों के कारण ‘खतरनाक और खतरनाक’ के रूप में लेबलिंग निर्यात के लिए हानिकारक है।
- कठोर विनियमों से रोजगार पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है, जो 1,00,000 से अधिक श्रमिकों की आजीविका को खतरे में डाल सकता है।
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