शहर के सेेटेलाइट हेल्थ सिस्टम में जहां भी नजर दौड़ाएं वहां कमियां मिल ही जाती है। पत्रिका टीम हकीकत जांचने सोमवार को राजकीय महिला बाग जिला चिकित्सालय पहुंची। इसे कागजों में जिला अस्पताल को बना दिया, लेकिन धरातल पर सुविधाएं डिस्पेंसरी जैसी भी नहीं है। कतारें तो ठीक यहां भवन में मरीजों व परिजनों के लिए बैठने व खड़े होने तक की जगह नहीं। चिकित्सक को आउटडोर के लिहाज से इतने कम हैं कि कतारें लगना स्वाभाविक है।
एक नजर में अस्पताल के हालात
– 800 से ज्यादा का आउटडोर है।
– 15 डॉक्टर्स स्वीकृत हैं।
– स्वीकृत चिकित्सकों में से भी चार-पांच की कमी है।
– नया भवन बना है, लेकिन अब भी इनडोर व आउटडोर के लिहाज से जगह कम पड़ती है।
एक घंटे तक करना पड़ता है इंतजार
अस्पताल में इलाज के लिए आई महिलाओं ने बताया कि एक घंटे से भी ज्यादा समय तक कतारों में खड़ा रहना पड़ता है। एक महिला प्रेमलता ने बताया कि तकरीबन 45 मिनट से डॉक्टर का इंतजार कर रहे हैं, लेकिन अब तक नहीं आए हैं। दूसरी महिला मेहरूननिशा ने बताया कि आधे घंटे से लाइन में लगी है और अब तक आगे और कितना इंतजार करना पड़ेगा यह भी पता नहीं।
अस्पताल में इलाज के लिए आई महिलाओं ने बताया कि एक घंटे से भी ज्यादा समय तक कतारों में खड़ा रहना पड़ता है। एक महिला प्रेमलता ने बताया कि तकरीबन 45 मिनट से डॉक्टर का इंतजार कर रहे हैं, लेकिन अब तक नहीं आए हैं। दूसरी महिला मेहरूननिशा ने बताया कि आधे घंटे से लाइन में लगी है और अब तक आगे और कितना इंतजार करना पड़ेगा यह भी पता नहीं।
भवन ही छोटा पड़ने लगा
अस्पताल के प्रभारी चंद्रशेखर आसेरी ने बताया कि उपलब्ध संसाधनों पर पूरा काम कर रहे हैं। स्टाफ कम है और भवन भी छोटा पड़ता है। फिर भी मरीजों को पूरी सुविधाएं देने का प्रयास करते हैं।
अस्पताल के प्रभारी चंद्रशेखर आसेरी ने बताया कि उपलब्ध संसाधनों पर पूरा काम कर रहे हैं। स्टाफ कम है और भवन भी छोटा पड़ता है। फिर भी मरीजों को पूरी सुविधाएं देने का प्रयास करते हैं।
पत्रिका लगातार बता रहा हालात
राजस्थान पत्रिका सेटेलाइट हेल्थ सिस्टम की हकीकत बताने के लिए लगातार अभियान चला रहा है। पावटा सेटेलाइट, मंडोर और इसके प्रतापनगर सेटेलाइट अस्पताल की धरातल पर हकीकत सभी के सामने रख चुके हैं। सभी जगह मरीजों में कतारों का दर्द साफ है। सेटेलाइट व जिला अस्पतालों में नए भवन भी बनाए गए हैं, लेकिन इसके बावजूद मेडिकल कॉलेज के मुख्य अस्पतालों का भार कम नहीं हो रहा। इसका कारण सीमित मानव संसाधन है।
राजस्थान पत्रिका सेटेलाइट हेल्थ सिस्टम की हकीकत बताने के लिए लगातार अभियान चला रहा है। पावटा सेटेलाइट, मंडोर और इसके प्रतापनगर सेटेलाइट अस्पताल की धरातल पर हकीकत सभी के सामने रख चुके हैं। सभी जगह मरीजों में कतारों का दर्द साफ है। सेटेलाइट व जिला अस्पतालों में नए भवन भी बनाए गए हैं, लेकिन इसके बावजूद मेडिकल कॉलेज के मुख्य अस्पतालों का भार कम नहीं हो रहा। इसका कारण सीमित मानव संसाधन है।