जोधपुर के भूतेश्वर वन खंड में स्थित हैं 300 साल पुराना शिवालय, हमेशा जागृत अवस्था में रहते हैं जागनाथ महादेव चिंतित मुद्रा में बैठे सरदार नाहरसिंह के पास उस समय एक सैनिक घुड़सवार सूचना लाया की पहाड़ी पर पेड़ के नीचे कोई बुजुर्ग वैद्य विराजे हैं। सरदार नाहरसिंह वैद्यजी को बुलाने में समय व्यर्थ गंवाने के बजाए अपने पुत्र को रथ में बैठाकर वैद्य के पास निकल पड़े और उपचार शुरू करवाया। कुछ ही देर में सरदार के पुत्र को आराम मिला।
जोधपुर के तोरणेश्वर शिवालय में अर्जुन ने लिए थे सुभद्रा संग सात फेरे, यहां पूरी हुई थी तोरण की रस्म उन्होंने वैद्यराज को प्रणाम कर अपने साथ मंडोर चलने को कहा। लेकिन वे अंतध्र्यान हो गए। सरदार की समझ में आ गया कि साक्षात महादेव वैद्यराज बनकर प्रकट हुए थे। इसके बाद नाहरसिंह ने उसी जगह विक्रम संवत 1176 में भाद्र मास की पूर्णिमा के दिन मंदिर प्रतिष्ठित किया था।