आसाराम बापू ने बीस दिन के पैरोल पर रिहा करने के निर्देश देने की याचना के साथ याचिका दाखिल की थी। न्यायाधीश विजय बिश्नोई तथा न्यायाधीश योगेन्द्र कुमार पुरोहित की खंडपीठ में सुनवाई के दौरान याची की ओर से अधिवक्ता कालूराम भाटी ने कहा कि याचिकाकर्ता को 25 अप्रेल, 2018 को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी। याची ने जिला पैरोल सलाहकार समिति के समक्ष बीस दिनों की पैरोल पर रिहा करने का प्रार्थना पत्र पेश किया था, लेकिन उस पर कोई निर्णय नहीं लिया जा रहा। राज्य की ओर से अतिरिक्त महाधिवक्ता अनिल जोशी ने कहा कि पैरोल सलाहकार समिति, जोधपुर ने 20 जून की बैठक में प्रार्थना पत्र पर विचार किया था, लेकिन उसे पैरोल पर रिहाई नियम, 2021 के प्रावधानों के अनुसार पैरोल का हकदार नहीं माना और प्रार्थना पत्र खारिज कर दिया। याची की ओर से कहा गया कि उसे 2018 में दोषी ठहराया गया था, जबकि प्रार्थना पत्र को 2021 से प्रभावी हुए नियमों के तहत खारिज किया गया। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के एक निर्णय के हवाले से दलील दी कि याची के प्रार्थना पत्र को पैरोल पर रिहाई नियम, 1958 के प्रावधानों के अनुसार निर्णित किया जाना चाहिए। खंडपीठ ने जिला पैरोल सलाहकार समिति के निर्णय को निरस्त करते हुए छह सप्ताह की अवधि में याची के प्रार्थना पत्र को 1958 के नियमों के अनुसरण में नए सिरे से निर्णित करने के निर्देश दिए हैं।