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जोधपुर

पानी के साथ डूब गई सारी मेहनत, उपज और दिल के अरमां

बारनी खुर्द के गुमानराम पारासरिया की बातों में भी दिल का दर्द साफ झलक रहा था। वो बता रहे थे कि ‘अब तो मवेशियों का चारा भी खत्म होने वाला है।

जोधपुरSep 26, 2024 / 03:46 pm

Santosh Trivedi

भोपालगढ़ उपखण्ड क्षेत्र के ग्रामीण इलाकों में करीब डेढ़ महीने पहले लगातार कई दिनों तक हुई बारिश के बाद से ही कई गांवों के खेत अभी भी बरसात के पानी में डूबे हुए हैं। बड़े अरमानों के साथ बोई गई सावणी फसलें पूरी तरह से चौपट हो चुकी हैं। खेतों को संवारने से लेकर बीज, बुवाई भाड़ा, निदाण व रखवाली आदि किसानी कार्यों पर हजारों रुपए खर्च करने के बाद फसलों के पकाव के ऐन मौके पर हुई अतिवृष्टि ने न केवल खेतों में पानी भर दिया। बल्कि किसानों के दिलों में भी गम का सागर हिलोरें लेने लगा है। हालात यह है कि आसोप उप तहसील क्षेत्र के काली मिट्टी वाले गांवों आसोप, रड़ोद, गारासनी, बासनी हरिसिंह, कुकड़दा, गजसिंहपुरा, कुम्भारा, नाड़सर, बारनी खुर्द व बारनी कलां आदि कई गांवों के कई खेतों में अभी भी कई जगह पानी भरा हुआ है और फसलें गलकर पूरी तरह से नष्ट हो गई हैं। पीड़ित किसानों को अब केवल स्पेशल गिरदावरी से ही उम्मीदें बची हैं, कि इसमें बीमा कंपनी व कृषि विभाग के अधिकारी सही रिपोर्ट भेज देंगे, तो उन्हें थोड़ी-बहुत राहत मिल जाएगी।

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भोपालगढ़ क्षेत्र के नाड़सर गांव के किसान मूलाराम लामरोड़ की आंखें खेत की उस मिट्टी की ओर टिकी थीं, जहां कभी उसकी फसलें लहलहाया करती थीं। आज वहां सिर्फ पानी है। उनका कहना था कि ‘मैंने हर साल की तरह इस बार भी सोचा था कि मेहनत रंग लाएगी, लेकिन अब तो खेत सिर्फ पानी का ताल बना हुआ है।’
बारनी खुर्द के गुमानराम पारासरिया की बातों में भी दिल का दर्द साफ झलक रहा था। वो बता रहे थे कि ‘अब तो मवेशियों का चारा भी खत्म होने वाला है। फसलें तो खत्म ही हो गई, अब इनसे मिलने वाले सूखे चारे के बिना मवेशी कैसे जिएंगे?” जबकि अभी भी कई खेत पानी से पूरी तरह डूबे हैं।
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रड़ोद गांव के किसान घेंवरराम पांगा की आंखों में भी बेबसी साफ दिख रही थी। उन्होंने बताया कि गांव के दर्जनों किसानों ने साहूकारों से रुपए उधार लेकर खेती की थी और सोचा था कि सावणी उपज से सब चुका देंगे। लेकिन सारी मेहनत पानी के साथ बह गया हो। गारासनी के युवा किसान महिपाल जाखड़ का कहना था कि ‘इस बार तो कई किसानों के सामने खाने तक के लाले पड़ते दिख रहे हैं। सरकार गिरदावरी करवाकर राहत देगी तभी कुछ होगा। भोपालगढ़ के किसान जीवणराम जाखड़ की यह कहते हुए आवाज भारी हो गई कि इस बार उपज नहीं आई, तो सोसायटी व बैंक का केसीसी आदि का कर्ज भी कैसे चुकाएंगें?

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