लापरवाही…ग्रामीण पेयजल को तरस रहे, आम रास्तों पर व्यर्थ बह रहा पानी
भोपालगढ़ क्षेत्र के नाड़सर गांव के किसान मूलाराम लामरोड़ की आंखें खेत की उस मिट्टी की ओर टिकी थीं, जहां कभी उसकी फसलें लहलहाया करती थीं। आज वहां सिर्फ पानी है। उनका कहना था कि ‘मैंने हर साल की तरह इस बार भी सोचा था कि मेहनत रंग लाएगी, लेकिन अब तो खेत सिर्फ पानी का ताल बना हुआ है।’
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रड़ोद गांव के किसान घेंवरराम पांगा की आंखों में भी बेबसी साफ दिख रही थी। उन्होंने बताया कि गांव के दर्जनों किसानों ने साहूकारों से रुपए उधार लेकर खेती की थी और सोचा था कि सावणी उपज से सब चुका देंगे। लेकिन सारी मेहनत पानी के साथ बह गया हो। गारासनी के युवा किसान महिपाल जाखड़ का कहना था कि ‘इस बार तो कई किसानों के सामने खाने तक के लाले पड़ते दिख रहे हैं। सरकार गिरदावरी करवाकर राहत देगी तभी कुछ होगा। भोपालगढ़ के किसान जीवणराम जाखड़ की यह कहते हुए आवाज भारी हो गई कि इस बार उपज नहीं आई, तो सोसायटी व बैंक का केसीसी आदि का कर्ज भी कैसे चुकाएंगें?