तो बढ़ जाएगा राजस्व
कृषि विपणन विशेषज्ञ श्याम सोनी के अनुसार, प्रदेश में वर्तमान कृषि उत्पादन को देखते हुए सरकार ने जो राजस्व की दर तय की है, उसके मुताबिक कर 40 प्रतिशत प्राप्त हो पा रहा है। अगर सरकार सभी जिंसों पर मंडी फीस 0.50 प्रतिशत प्रति सैकड़ा कर दे, तो वर्तमान में जो पिछले 5 सालों में जो कर प्राप्त हुआ है, अनुमानित कर उससे कई गुना ज्यादा आएगा।प्रमुख कृषि जिंसों पर मंडी टैक्स
– 0.50 पैसा- जीरा, ईसबगोल, बाजरा, ज्वार, मक्का। – 1 प्रतिशत- तिल, तारामीरा, सरसों, अरंडी, मूंगफली, सोयाबीन। – 1.60 प्रतिशत- ग्वार, मूंग, मोठ, गेहूं, मैथी, चवळा,चना, जौ। (वर्तमान में, प्रदेश में 70-80 कृषि जिंसों पर मंडी टैक्स लिया जा रहा है) सरकार को मंडी टैक्स के रूप में मिला राजस्व (लाख रुपए में) वर्ष—- मंडी टैक्स 2018-19–61595.44 2019-20- 66543.06
2020-21- 56338.29 2021-22-42465.22 2022-23- 58883.93 2023-24- 58292.70
जोधपुर में नहीं पनप रहे उद्योग
– जीरा, रायड़ा, ईसबगोल, अरण्डी व ग्वारगम के उत्पादन में देश में पहले स्थान पर है। लेकिन यहां इन कृ़षि जिंसों पर आधारित उद्योग नहीं पनप पाए है। – जीरा-रायड़ा, ईसबगोल का सर्वाधिक उत्पादन पं राजस्थान में, लेकिन पर्याप्त उद्योग नहीं। – अरण्डी का सर्वाधिक उत्पादन, लेकिन केवल एक मात्र छोटा प्लांट। – ग्वारगम इंडस्ट्री फेल हो गई। व्यापार पड़ौसी राज्यों में हो रहा।
मंडी टैक्स की दर 0.50 पैसा, तो पनपेंगे उद्योग
सरकार अगर प्रदेश में कृषि आधारित उद्योगों को बढ़ावा देना चाहती है तो कृषि जिंसों पर मंडी टैक्स की दर 0.50 पैसा करे तो, निश्चित ही सरकार को दोगुना राजस्व मिलेगा। यहां उद्योग पनप जाएंगे व लाखों लोगों को रोजगार भी मिलेगा। – पुुरुषोत्तम मूूंदड़ा, अध्यक्ष, जोधपुर जीरा मंडी व्यापार संघ