एम्स में मई 2021 की शुरुआत में 3567 इंजेक्शन उपलब्ध थे। बावजूद इसके अलग-अलग कम्पनियों से 18 मई, 21 मई और 25 मई को क्रमश: 1080, 1520 व 1341 इंजेक्शन खरीदे गए। स्टॉक की जांच में 5 हजार 949 रेमडेसिविर इंजेक्शन शेष पड़े थे। इसमें से अधिकतम 3500 इंजेक्शन फ्री ऑफ कॉस्ट अनएक्सपायर्ड निकले। शेष बचे इंजेक्शन 2449 अवधिपार होने की वजह से एक्सपायर हो गए।
एम्स के पास पर्याप्त इंजेक्शन थे, इसके बावजूद और खरीद लिए
सीएजी की ओर से इस संबंध में जवाब तलब करने पर एम्स ने तर्क दिया कि वर्ष 2021-22 के दौरान कोविड महामारी के मरीजों में भारी गिरावट के कारण ये इंजेक्शन उपयोग में नहीं लाए जा सके। सीएजी एम्स की इस बात असंतुष्ट नजर आई। सीएजी ने कहा कि पर्याप्त मात्रा में इंजेक्शन होने के बावजूद इंजेक्शन खरीदे गए थे। इनके अवधि पार होने की तिथि अप्रेल 2022 और अक्टूबर 2022 थी। दवाओं का उचित उपयोग नहीं होने से 57,36,800 लाख रुपए का नुकसान हो गया।87 लाख रुपए से अधिक की दवाइयां एक्सपायर हो गई
सीएजी जांच में 87 लाख रुपए से अधिक की दवाइयां एक्सपायर हो गई। इसके अलावा स्टॉक रजिस्टर की अन्य जांच में अक्टूबर 2018 से जून 2020 के दौरान उपभोग्य अन्य सामग्री की खरीद की गई। जांच में सामने आया कि 2.32 करोड़ रुपए का सामान शेष पड़ा हुआ था। सीएजी को दिए जवाब में एम्स ने बताया कि कोरोना महामारी के कारण आपातकालीन परिस्थितियों के अलावा सभी प्रकार के ऑपरेशन थियेटर संचालन में नहीं थे, इसलिए इस सामग्री का उपयोग नहीं हो पाया। सीएजी यहां भी संतुष्ट नजर नहीं आई। सीएजी का कहना है कि कोराना महामारी मार्च 2020 में फैली थी, जबकि कुछ सामग्री इससे डेढ़ साल पहले, कुछ सामग्री अप्रेल 2020 और जून 2020 में भी खरीदी गई है, उस समय कोरोना महामारी चरम पर थी। इससे स्पष्ट है कि बिना वास्तविक आकलन व आवश्यकता के सामग्री खरीदकर निधियां अवरोधित कर दी गई।
16 दवाएं अधिक मात्रा में खरीदकर 30 लाख का चूना लगाया
एम्स के अप्रेल 2021 से मार्च 2022 के स्टॉक की जांच में 16 विभिन्न प्रकार की दवाओं की अधिक मात्रा में खरीद की बात भी सामने आई। समय से उपयोग नहीं होने पर ये 31 मार्च 2022 को एक्सपायर हो गई। इससे 30.40 लाख रुपए का नुकसान हो गया।प्रोटोकॉल से किया उपयोग
कोविड के दौरान सभी खरीद केंद्रीय आवंटन के अनुसार की गई। इनका उपयोग भी निर्धारित प्रोटोकॉल से किया गया। महामारी के दौरान कोविड रोगियों के प्रबंधन में एम्स सबसे आगे रहा।- डॉ. एलिजा मित्तल, पीआरओ, एम्स जोधपुर
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