दरअसल हिंदुस्तान कॉपर के जब सभी कारखाने चालू थे, तब माल की ढुलाई के लिए वर्ष 1973-74 में डाबला से खेतड़ी नगर वाया सिंघाना 34 किमी की रेलवे लाइन बिछाई गई थी। इसके लिए रेलवे ने जमीन अधिग्रहण कर छोटी लाइन बिछाई थी। यह रेल लाइन डाबला से शुरू हो सिहोड, रामपुरा, चिरानी, राजोता, नानू वाली बावड़ी, गोठड़ा, सिंघाना होते हुए खेतड़ी नगर स्थित हिंदुस्तान कॉपर के कारखाने तक आती थी। वर्ष 2008 में इन रेल लाइनों को हटा दिया गया। रेल लाइनों को बिछाने के लिए कई स्थानों पर मिट्टी के टीले खड़े कर लेवलिंग की गई।
कहीं पर लाखों रुपए की लागत से पुल बनाए गए, लेकिन रेल लाइन की पटरियां उखड़ते ही डाबला से लेकर सिंघाना तक रेल लाइन की जमीन पर लोगों ने अतिक्रमण करना शुरू कर दिया। नानूवाली बावड़ी से लेकर गोठड़ा तक इस रेल पटरी के स्थान पर सार्वजनिक निर्माण विभाग ने भी सड़क का निर्माण कर दिया। वहीं रेल पटरी को लेवलिंग के लिए डाली गई चिकनी मिी को भी लोग ले जाने लगे। डाबला से लेकर सिंघाना तक मिट्टी को खोदने का कार्य जारी है।
‘रेलवे की जमीन पर जहां भी अतिक्रमण हो रखा है, उस संबंध में जिला प्रशासन को अवगत करा कर कार्रवाई करवाई जाएगी।’ –कैप्टन शशि किरण, सीपीआरओ रेलवे ‘डाबला से सिंघाना-चिड़ावा तक ब्रॉड गेज लाइन से जोड़ दें तो आगे यह मंडावा, सालासर ,खाटू श्याम को जोडऩे वाला धार्मिक ट्रैक बन सकता है।’ – बिरदू राम सैनी, महामंत्री ,खेतड़ी तांबा श्रमिक संघ खेतड़ी नगर